जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर दो दिनों से हंगामा बरपा हुआ है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच आपसी सहमति नहीं बनते हुए दिखाई दे रही है और दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के ऊपर आरोप लगा रही हैं. सोमवार को एनसी के विधायकों ने सदन में वक्फ कानून की प्रतियां फाड़ दी थीं और जमकर हंगामा किया. इसी तरह के कुछ हालात मंगलवार को भी देखने को मिले हैं.
विधानसभा में पीडीपी की ओर से कानून का विरोध करते हुए एक नया प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया गया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया. विधानसभा में नेताओं ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग की. पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने भी अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए एक्स का सहारा लिया.
उन्होंने कहा, ‘वक्फ मुद्दा आस्था के मामलों से परे है. यह भारत में 24 करोड़ मुसलमानों के अधिकारों, विश्वासों और सम्मान पर सीधा हमला है. एकमात्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के नाते, जम्मू और कश्मीर को इस अवसर पर आगे आना चाहिए और अपने लोगों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.’ उन्होंने मुख्यमंत्री, विधानसभा और जम्मू-कश्मीर सरकार से ‘राजनीतिक संकल्प’ दिखाने और इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की अपील की.
पीडीपी विधायक को सदन से बाहर निकाला
वक्फ अधिनियम पर हंगामे के बाद विधानसभा को दूसरे दिन फिर से स्थगित करना पड़ा और एक पीडीपी सदस्य वहीद पारा को मार्शलों के जरिए सदन से बाहर निकाल दिया गया. दरअसल, पीडीपी और अवामी इत्तेहाद पार्टी सहित विपक्षी दलों ने वक्फ अधिनियम पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, जिसे नियम 58 के तहत अध्यक्ष ने खारिज कर दिया. इसी बात को लेकर फिर से हंगामा बरपा और विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
बीते दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव लाने की अपनी योजना दोहराई थी. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन सहित घाटी के प्रमुख नेताओं ने भी इस पर अपना पक्ष रखा. लोन ने अधिनियम पर खुली चर्चा की जरूरत पर जोर दिया और विधेयक पारित होने के तुरंत बाद केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए सीएम अब्दुल्ला की आलोचना की. लोन का कहना था कि उनसे मिलने की कोई जरूरत नहीं थी. इससे बहुत गलत संदेश जाता है.
फारूक अब्दुल्ला ने क्या दिया तर्क
वक्फ कानून को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि उनकी पार्टी इस कानून के खिलाफ है. इसको लेकर कई पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है इसलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा स्पीकर इस कानून पर चर्चा नहीं करा रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इंसाफ करेगा. विधानसभा के स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने भी यही तर्क दिया, लेकिन पीडीपी के विधायक आरोप लगा रहे हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस केंद्र की सरकार के साथ मिली हुई है. इस बात को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच ठनी हुई है.