सागर : बुंदेलखंड के प्रसिद्ध नृत्य राई को दुनियाभर में अलग पहचान दिलाने वाले सागर जिले के दिग्गज कलाकार पद्मश्री राम सहाय पांडे ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. राम सहाय पांडे लंबे वक्त से बीमार थे. निजी अस्पताल में इनका इलाज चल रहा था। मंगलवार को 97 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली.
इनके माता-पिता का निधन बहुत कम उम्र में ही हो गया था. बचपन बहुत गरीबी में बीता, इसके बाद भी उन्होंने राई नृत्य सीखा और उसे देश-विदेश में लोकप्रिय बनाया. रामसहाय पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले के ग्राम मडधार पठा में हुआ था. एक बार रामसहाय पांडे एक मेले में पहुंचे. वहां उन्होंने राई नृत्य देखा. इसके बाद उन्होंने सोच लिया कि वह भी राई करेंगे. बुदेलखंड के सामाजिक नजरिए से राई नृत्य ब्राह्राण परिवारों के लिए अच्छा नहीं माना जाता था. लेकिन रामसहाय पांडे अपनी जिद पर अड़े रहे.
छोटे कद के पांडे जब कमर में मृदंग बांध कर नाचते और पल्टी मारते तो लोग दांतों तले उंगली दवा लेते थे. राई नृत्य में उनका कोई मुकाबला नहीं था.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रामसहाय पांडे के निधन पर दुख व्यक्त किया है.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि श्री राम सहाय पांडे ने विपरीत परिस्थितियों में कला क्षेत्र को अपनाया और धारा के विपरीत बहते हुए इस क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां अर्जित कीं. भारत के साथ अन्य देशों में भी उन्होंने बुंदेलखंड के राई लोक नृत्य को पहचान दिलवाई. उनके योगदान को रेखांकित करते हुए भारत सरकार द्वारा श्री पांडे को पद्मश्री से अलंकृत किया गया.
बुंदेलखंड के गौरव, लोकनृत्य राई को वैश्विक पहचान दिलाने वाले लोक कलाकार पद्मश्री श्री पांडे का निधन मध्यप्रदेश और कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. लोक कला एवं संस्कृति को समर्पित उनका सम्पूर्ण जीवन हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्व. पांडे को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को यह दुख सहने करने की सामर्थ्य देने की ईश्वर से प्रार्थना की है.