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55 वीरों की कुर्बानी से बनी ‘खूनी सड़क’, पहुंची नक्सली गढ़ में…

छत्तीसगढ़ की सरकार ने नक्सल बेल्ट के गांवों तक विकास पहुंचाने की तैयारी पूरी कर ली है. इसके लिए देश की मुख्य धारा से कट चुके इन गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ा जा रहा है. इसी क्रम में राज्य सरकार ने 80 किमी लंबी तीन सड़कों का काम पूरा कराया है. हालांकि इन सड़कों को बनाने में जहां 90 जवानों को शहादत देनी पड़ी, वहीं 500 से अधिक स्पाइक होल और 450 आईईडी बम बरामद हुए. इन सड़कों का काम पूरा होने के बाद अब कुख्यात नक्सली हिडमा के गांव तक पुलिस वैन से लेकर एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड तक फर्राटे भरने लगी है.

बताते के बस्तर में 22 साल से माओवादियों का एक छत्र राज था. इस क्षेत्र के रास्ते घने जंगल से होकर गुजरते थे, जहां गाहे बगाहे बंदूकें तड़तड़ाती रहती थी. खौफ का आलम यह था कि सरकारी योजनाओं को लेकर कोई भी अधिकारी कर्मचारी दिन के उजाले में भी इधर आने से बचता था. हालांकि बदले समय में सरकार की नीति और नीयत बदली. इसके बाद इन्हीं खूंखार रास्तों पर आज पक्की सड़क बन गई है. इसमें एक सड़क तो खूंखार नक्सली लीडर हिडमा के गांव तक जा रही है. अब पुलिस और प्रशासन की गाड़ियों से लेकर एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड तक इन गांवों में पहुंच रही है.

55 जवानों को देनी पड़ी शहादत

सरकार इन सड़कों के निर्माण कार्य को मील का पत्थर बता रही है. हालांकि इन सड़कों को बनाने में नक्सलियों का भारी विरोध भी झेलना पड़ा है. यहां तक कि मुठभेड़ में 55 जवानों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है. दरअसल नक्सलियों ने अरनपुर से जगरगुंडा की सड़क पर कई हमले किए. इस सड़क को कई बार तोड़ दिया. इस दौरान जवानों से आमने सामने की टक्कर भी हुई. इसमें 55 जवान शहीद हुए. वहीं इससे ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया गया. इस कार्रवाई के दौरान जवानों ने करीब 500 से अधिक स्पाइक होल और 450 आईईडी बम बरामद किए हैं.

कभी बड़ा व्यापार केंद्र था जगगुंडा

सरकार की सख्ती और जवानों की सुरक्षा के दम पर इन सड़कों पर अब बसें, एंबुलेंस आदि फर्राटा भरते हुए आदिवासी गांवों तक पहुंच रही हैं. अधिकारियों के मुताबिक एक समय में जगगुंडा वनोपज का बड़ा बाजार व व्यापार केंद्र था. बाद में यह पूरा क्षेत्र माओवादियों की गिरफ्त में आ गया. इसकी वजह से इस बाजार की रौनक चली गई थी. लेकिन अब एक बार फिर दंतेवाडा से जगगुंडा तक 80 किलोमीटर की सड़क बनने के बाद इस क्षेत्र के विकास की उम्मीद जग गई है. प्रशासन ने इन सड़कों को खूनी सड़क का नाम दिया है.

ये हैं खूनी सड़कें

अरनपुर से जगगुंडा

18 किलोमीटर की लंबाई

150 आईडी बरामद

630 जवान सुरक्षा में तैनात

बासागुड़ा से जगगुंडा

21 किलोमीटर लंबी सड़क

250 आईडी बरामद

डीआरजी और सीआरपीएफ के जवान तैनात

दोरनापाल से जगरगुंडा मार्ग

58 किमी कुल लंबाई

60 आईडी बरामद

डीआरजी और सीआरपीएफ तैनात

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