छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने सप्ताहभर के अंदर दूसरी बार शांतिवार्ता के लिए सरकार के सामने अपनी बात रखी है। नक्सली लीडर रूपेश ने पर्चा जारी कर कहा कि हम पूर्ण युद्धविराम कर देंगे, लेकिन सरकार साथ दे। सरकार की तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्धविराम कर देंगे।
हमें अपने नेतृत्वकर्ता के साथ बैठकर इस विषय में बातें करनी हैं। इसके बिना वार्ता करना संभव नहीं है। वहीं गृहमंत्री शर्मा ने कहा कि, नक्सली वार्ता करना चाहते हैं तो हम तैयार हैं, लेकिन बंदूक का जवाब चर्चा से नहीं बंदूक से होता है।
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म कर देंगे। शाह की डेडलाइन जारी करने के बाद से बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी तेज हो गए हैं। 2025 में अब तक 142 नक्सली मारे गए हैं।
इससे पहले भी रखी थी शांतिवार्ता की बात
इससे पहले सेंट्रल कमेटी ने पर्चा जारी कर स्वीकार किया था कि पिछले 15 महीनों में उनके 400 साथी मारे गए हैं। अगर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन रुकती है, तो हम शांतिवार्ता के लिए तैयार हैं। इस पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि वे शांतिवार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए कोई शर्त न हो।
कोई लीडर युद्ध का मैदान छोड़कर नहीं भागा
8 अप्रैल को नक्सली लीडर ने पर्चा जारी कर कहा कि हमारा कोई भी बड़ा लीडर डर की वजह से बस्तर या फिर युद्ध का मैदान छोड़कर पड़ोसी राज्य नहीं भागा है। संगठन के कामों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य आना-जाना करते हैं। पुलिस के लिए कहा कि जनता और नक्सल कैडर के लोग उनके अपने हैं। उन पर गोली न चलाएं।
अनुकूल माहौल के बिना वार्ता संभव नहीं
नक्सलियों के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने ये पर्चा जारी किया है। पर्चे में लिखा है कि केंद्रीय कमेटी की तरफ से कुछ दिन पहले भी शांतिवार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने कहा गया था। जिस पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने प्रतिक्रिया दी और अनुकूल माहौल बनाने की मांग को उन्होंने इनकार कर दिया।
सभी जानते हैं कि अनुकूल माहौल के बिना वार्ता संभव नहीं होगी। फिर इसका यह मतलब है कि सरकार ने जो भी तरीका अपनाया है उसे ही जारी रखना चाहती है।
साथियों से मिलकर लेना है निर्णय
रूपेश ने कहा है शांतिवार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने संबंधित निर्णय लेने के लिए हम कुछ नेतृत्वकारी साथियों से मिलना चाहते हैं। नेतृत्व की राय लेनी भी जरूरी है। लगातार चल रहे हैं अभियानों के बीच में यह नहीं हो पाएगा। अनुकूल माहौल के लिए अभियान को रोकना जरूरी है। वार्ता की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है।
बस्तर से नेतृत्व दूसरे राज्य नहीं भाग रहे
यह सरकार की जिम्मेदारी है। हम सरकार से कह रहे हैं कि शांतिवार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करें। सरकार की तरफ से इसका सकारात्मक संकेत मिलेगा तो हम इस पर काम शुरू करेंगे। पर्चे में लिखा है कि विजय शर्मा ने जो विषय उठाए हैं उन विषयों को वार्ता के एजेंडा में तय कर सकते हैं।
नक्सली लीडर रूपेश का कहना है कि बस्तर से नेतृत्व दूसरे राज्य में भाग जाने की बात सही नहीं है। नेतृत्व अपनी जिम्मेदारियों के तहत आना-जाना करते हैं।
स्कूल-अस्पताल का विरोध नहीं
नक्सली संगठन को विकास विरोधी के रूप में बताया जा रहा है। हम स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, राशन दुकान, पेयजल, बिजली का विरोध नहीं करते हैं। सुचारू रूप से संचालन करने की मांग किए थे। कर्मचारियों से बार-बार अपील किए थे, प्रत्यक्ष रूप से मिलकर बात किए थे, अभी भी बात कर रहे हैं।
संगठन के लिए भी दिया मैसेज
नक्सली लीडर ने अपने कमेटी के कमांडरों से कहा है कि शांतिवार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में हमारी गतिविधियां रहनी चाहिए। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार अभी तक हमारी मांग को नहीं मानी है। इसलिए सभी नियम और सावधानियां सतर्कता के साथ पालन करें। हम शिकार न बनें।
पर्चे में लिखा है कि सरकार की तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्ध विराम करेंगे। सरकार के रुख पर आधारित होकर हम और स्पष्टता के साथ अपना बयान देंगे।
अभय ने भी की थी अपील
करीब सप्ताहभर पहले नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के सदस्य अभय ने भी एक पर्चा जारी किया था। अभय ने कहा था कि पिछले 15 महीने में उनके करीब 400 साथी मारे गए हैं। शांतिवार्ता के लिए अभय ने भी सरकार के सामने बात रखी थी और शांतिवार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने को कहा था।