धार्मिक नगरी उज्जैन में वैसे तो प्रतिदिन ही कोई ना कोई चमत्कार होता रहता है. वहीं मां बिजासन के दरबार में हुई एक घटना पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है. जिसमें एक बंदर ने मंदिर में पहुंचकर माता को दंडवत प्रणाम किया और उसके बाद यहीं पर अपने प्राण त्याग दिए. मंदिर में बंदर के प्राण त्यागने के बाद मंदिर के पुजारी और अन्य लोगों ने बंदर को दफनाया और विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार किया. इस घटना का वीडियो भी सामने आया है.
छत्रीचौक क्षेत्र स्थित सिटी पोस्ट आफिस के पीछे मोचीवाड़ा में श्रवण कुमार उज्जैनिया के निवास पर अति प्राचीन मां बिजासन माता मंदिर है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना और दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. मंदिर में एक बंदर अचानक पहुंचा था जिसने मां बिजासन माता के सामने सिर झुकाकर प्रणाम किया और उसके बाद अपने प्राण त्याग दिए. मंदिर में बंदर की मौत को श्रद्धालुओं और पुजारी परिवार ने माता के एक भक्त की तरह समझा और पूरे विधि विधान के साथ बंदर को भूखी माता क्षेत्र में ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया.
मंदिर में बंदर ने तोड़ा दमम
जानकारी के मुताबिक, मंदिर में आने से पहले बंदर काफी देर तक मंदिर पर लगी ध्वजा के पास बैठा हुआ था. इस समय मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ थी लेकिन जैसे ही उसे मौका मिला तो वह तुरंत मंदिर में पहुंचा और उसने बिजासन माता को प्रणाम करने के बाद अपने प्राण त्याग दिए. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि इस बंदर को वैसे तो पहले कभी नहीं देखा, लेकिन यह मां बिजासन का सच्चा भक्त है. जिसके प्राण माता के चरणों में निकले हैं.
विधि विधान से हुआ अंतिम संस्कार
मां बिजासन के चरणों में अपने प्राण त्यागने वाले इस बंदर का अंतिम संस्कार पूर्ण विधि विधान से किया गया. विनायक उज्जैनिया ने बताया कि हम बंदर को हनुमान जी का स्वरूप मानते हैं, इसीलिए मंदिर में हुई इस घटना के बाद हम बंदर के शरीर को लाल रंग के कपड़े में लपेटकर भूखी माता क्षेत्र पहुंचे थे जहां हमने एक गड्ढा खोदा और उसके बाद भावुकता के साथ बंदर का अंतिम संस्कार किया.
अंतिम संस्कार का वीडियो वायरल
बंदर की मौत के बाद विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किए जाने का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कुछ लोग बंदर को दफनाने के साथ ही अन्य कार्य करते दिखाई दे रहे हैं. ऐसी घटनाओं में अधिकतर लोग ऐसे पशुओ को सुनसान इलाकों में फेक आते हैं लेकिन उज्जैनिया परिवार के लोगों ने मानवीयता का परिचय देकर बंदर का विधि विधान से अंतिम संस्कार किया.