मां बनने का सुख हर महिला को मिले, ऐसा जरूरी नहीं. तब उनके लिए सहारा बनती है किराये की कोख (सेरोगेसी) और अब सरकार ने इन्हीं महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत का ऐलान किया है. अभी देश में मां बनने के लिए महिलाओं को कानूनन 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है. इसमें एम्प्लॉयर के लिए महिलाओं को 6 महीने का पूरा वेतन देना अनिवार्य होता है. अब मैटरनिटी लीव की यही सुविधा सेरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं को भी मिलने जा रही है.
सेरोगेसी से मां बनने पर मैटरनिटी लीव का फायदा अभी सरकारी महिला कर्मचारियों को ही मिलने वाला है. सरकारी विभागों में काम करने वाली ऐसी महिलाएं जो सेरोगेसी से मां बनती हैं, वह 180 दिन का मातृत्व अवकाश लेने के योग्य होंगी.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
कैसे मिलेगा सेरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं को फायदा?
सेरोगेसी से मां बनने के मामले में जो महिला बच्चा पैदा करती है, उसे सेरोगेट मदर कहा जाता है. उसे अपनी कोख किराये पर देनी होती है, जहां बच्चे को गर्भ में रखा जाता है. लेकिन उस बच्चे की असली मां वही होती है जिसके लिए सेरोगेट मदर ने अपनी कोख किराये पर दी है. इन मांओं को कानून की भाषा में ‘अधिष्ठाता मां’ (कमीशंड मदर) कहा जाएगा. कमीशंड मदर वो होंगी जो सेरोगेसी से पैदा होने वाले बच्चे का पालन-पोषण करेंगी.
इसके लिए केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली 1972 में बदलाव करके ‘कमीशंड मदर’ को बच्चे की देखभाल के लिए 6 महीने का मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान किया गया है. वहीं इस तरह से पिता बनने वाले पुरुष भी ‘अधिष्ठाता पिता’ (कमीशंड फादर) कहलाएंगे और वह 15 दिन का पितृत्व अवकाश ले सकेंगे.
18 जून से लागू हुआ नियम
हालांकि सेरोगेसी केस में मातृत्व अवकाश के लिए एक शर्त भी रखी गई है. ये छुट्टी उन्हीं महिलाओं को मिलेगी जिसके दो से कम बच्चे जीवित हैं. वहीं कमीशंड फादर और कमीशंड मदर में किसी एक अथवा दोनों के सरकारी नौकरी में होने की स्थिति में ही 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है. अभी तक देश में सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की सूरत में सरकारी महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के लिए कोई नियम नहीं था.
नए नियमों में कहा गया है कि सरोगेसी के माध्यम से बच्चा होने के मामले में बच्चे के जन्म की तारीख से छह माह के भीतर ही कमीशंड फादर को पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है. इन नियमों को 18 जून को लागू कर दिया गया है.