इस साल लोगों के लिए मानसून को लेकर अच्छी खबर सामने आई है. क्योंकि बादल झूमकर बरसने वाले हैं. मौसम विज्ञान विभाग ने अनुमान लगाया है कि 2025 में पूरे देश में औसत से 105 फीसदी अधिक बारिश होगी. यह खबर कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है. सिर्फ लद्दाख, पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है.
अनुकूल जलवायु स्थितियां
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल एल-नीनो और इंडियन ओसियन डाइपोल सामान्य रहने वाले हैं, जो कि अच्छे मानसून का संकेत है. इन दोनों की परिस्थितियां अनुकूल होने से पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश में वृद्धि होती है.
खास बात है कि यूरेशिया और हिमालयी क्षेत्र में बर्फ की मात्रा कम होगा. विशेषज्ञों के अनुसार, जब हिमालय और उसके आसपास के क्षेत्रों में बर्फ कम होती है तो भारत में मानसूनी बारिश औसत से अधिक होती है.
मौसम विभाग के प्रमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बताया?
मौसम विभाग (IMD) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि साल 2025 में मानसून सीजन (जून से सितंबर) के दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है. मानसून के दौरान औसत बारिश 87 सेंटीमीटर के दीर्घकालिक औसत का 105 प्रतिशत होने का अनुमान है. अच्छी बारिश की वजह से किसानों और जल संकट झेल रहे इलाकों को बड़ी राहत मिलेगी.
गर्मी को लेकर क्या कहा?
मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अप्रैल से जून तक लू का कहर जारी रहेगा. ज्यादा गर्मी की वजह से पावर ग्रिड पर अधिक लोड पड़ेगा, जिससे जल संकट उत्पन्न हो सकता है.
भारत के लिए क्यों है मानसून अहम?
भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका कृषि पर ही आधारित है, जो कि देश के जीडीपी के 18.2 प्रतिशत का योगदान करता है. खेती का 52 फीसदी हिस्सा सीधे तौर से बारिश पर निर्भर करता है. अच्छा मानसून जलाशयों के पुनर्भरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. हालांकि, जलवायु वैज्ञानिकों द्वारा संभावना जताई गई है कि पूरे देश में बारिश का समान वितरण नहीं होगा. जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसा हो रहा है.
भारत में मानसून कब आता है?
आमतौर पर भारत में मानसून 1 जुलाई को केरल से प्रवेश करता और धीरे-धीरे नॉर्थ, ईस्ट और वेस्ट की ओर बढ़ता. जुलाई के मध्य तक पूरे देश में मानसून का फैलाव हो जाता. सितंबर के अंत से अक्टूबर के मध्य तक मानसून की वापसी होती है.