इटावा : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार रात एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सनसनीखेज खुलासा किया, जिसने पूरे प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया. उनके आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से किए गए पोस्ट में इटावा के ऐतिहासिक सुमेर सिंह किले के पास बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन और मिट्टी के टीलों की कटाई को लेकर तीखा हमला बोला गया. इस पोस्ट ने न केवल पर्यावरणीय चिंताओं को उजागर किया, बल्कि प्रशासनिक नाकामी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गंभीर सवाल भी खड़े किए.
अखिलेश ने अपने पोस्ट में लिखा, “इटावा में सुमेर सिंह किले के पास वाले बड़े-छोटे पहाड़ क्या बड़े-छोटे अधिकारी के साथ ही बस्ती-गोरखपुर की तरफ़ ट्रांसफ़र कर दिये गये हैं? अधिकारी तो नये आ जाएंगे लेकिन भ्रष्टाचार के फावड़े से काटकर गुम कर दिया गया और मिलीभगत से काट-बांटकर गायब कर दिया गया चंबल के बीहड़ का पहाड़ कैसे वापस आएगा? पर्यावरण कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!” यह पोस्ट हाल ही में हुए डीएम स्तर के आईएएस अधिकारियों के तबादलों के समय आई, जिसने प्रशासन, वन विभाग, खनन विभाग, और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को कठघरे में ला खड़ा किया.
यह घटनास्थल इटावा मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर दूर, कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत और यमुना एक्शन प्लान के नजदीक है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से दिन-रात भारी मशीनों के जरिए मिट्टी के टीले और पहाड़ समतल किए जा रहे हैं. एक 80 मीटर ऊंचे पहाड़ को पूरी तरह समतल कर 20,000 वर्गफुट से अधिक जमीन खाली की जा चुकी है. माना जा रहा है कि यह क्षेत्र आवासीय उपयोग के लिए तैयार किया जा रहा है, लेकिन इसका मकसद अभी अस्पष्ट है.आश्चर्यजनक रूप से, यह सब बिना खनन विभाग की अनुमति के हो रहा है. सूत्रों के अनुसार, न तो स्थानीय पुलिस और न ही खनन विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई की. सपा के प्रदेश सचिव गोपाल यादव ने आरोप लगाया कि बिना सत्ता के संरक्षण के इतना बड़ा अवैध खनन संभव नहीं। उन्होंने कहा, “जिला प्रशासन दबाव में है और आंखें मूंदे बैठा है.”
दूसरी ओर, भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया कि उनका कोई नेता या कार्यकर्ता इसमें शामिल नहीं है.अखिलेश द्वारा साझा की गई ड्रोन तस्वीरों ने इस मामले को और हवा दी. ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन को घेरना शुरू कर दिया.पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाने वाले अखिलेश ने चंबल के बीहड़ों को हो रहे नुकसान पर गहरी चिंता जताई. यह क्षेत्र जैव-विविधता के लिए संवेदनशील है, और अवैध खनन से प्राकृतिक संसाधनों को अपूरणीय क्षति पहुंच रही है.
यह मामला केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि राजनीतिक भी बन चुका है. अखिलेश का यह कदम भाजपा सरकार की कथित नाकामियों को उजागर करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. सवाल यह है कि क्या इस मामले में एनजीटी या कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी कार्रवाई करेगी? फिलहाल, इटावा में अवैध खनन का यह मुद्दा जनता और राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है.