हाईकोर्ट में CJ बोले-पवित्र स्थल को गंदा कर दिया..VIDEO:रतनपुर महामाया मंदिर में 23 कछुओं की मौत पर जताई नाराजगी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक सुनवाई के दौरान CJ ने जमकर नाराजगी जताई। दरअसल, रतनपुर महामाया शक्तिपीठ के मंदिर परिसर स्थित कुंड में 23 कछुओं की मौत हो गई थी। इसी मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सख्ती दिखाई गई।

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सुनवाई के दौरान वकील ने पुजारी शब्द का जिक्र किया, तब चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा भड़क गए। उन्होंने कहा कि बार-बार पुजारी और लेडी कहकर बचाव मत करिए, मर्डर कोई भी कर सकता है। पवित्र स्थल को गंदा कर दिया है और आप उनका बचाव कर रहे हैं।

सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच में हुई

 

इस मामले में पुजारी की ओर से अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की गई है। जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि FIR सिर्फ पुजारी के खिलाफ ही क्यों दर्ज की गई, अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

 

इस पर बताया गया कि ठेकेदार आनंद जायसवाल के साथ ही मछुआरे अरुण और विष्णु धीवर के नाम पर भी FIR दर्ज है। जिस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कड़ी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि इस मामले में सबकी भूमिका की जाएगी।

पुजारी की तरफ से वकील पक्ष रख रहे थे..पढ़िए कोर्ट रूम लाइव-

पुजारी के वकील- नवरात्रि के पहले ट्रस्ट ने मंदिर के बगल वाले कुंड में सफाई का फैसला किया। वहां पर सफाई के लिए मछुआरों को ठेका दिया गया। सफाई के 2 दिन बाद मरे हुए कछुए पाए गए। इसके बाद फॉरेस्ट वालों ने हमारा बयान लिया और हम पर FIR कर दी। हमारे खिलाफ केस बन गया। ट्रायल कोर्ट से एंटीसिपेट्री बेल खारिज हुई है। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं थी।

चीफ जस्टिस- आप वहां के अध्यक्ष हैं, आप वहां क्या कर रहे थे, आपको इसकी जानकारी होनी चाहिए।

पुजारी के वकील- मैं अध्यक्ष नहीं हूं।

चीफ जस्टिस- आप कौन है?

पुजारी के वकील- मैं ट्रस्ट में उपाध्यक्ष हूं, अध्यक्ष आशीष ठाकुर हैं। मेरे खिलाफ आरोप सिर्फ ये है कि, सिक्योरिटी गार्ड ने मुझसे पूछा कि, सफाई वालों को अंदर आने दे या नहीं? हमने कहा- हां, ट्रस्ट का आदेश है सफाई करवाने का, उनको आने दो।

चीफ जस्टिस- FIR में कितने लोगों के नाम है?

पुजारी के वकील- FIR की कॉपी यहां नहीं है सर

चीफ जस्टिस (वन विभाग से) – बताओ कितने लोगों के खिलाफ FIR लिखाया आपने?

वकील, वन विभाग- ट्रस्ट के उपाध्यक्ष के अलावा 3 और लोगों के नाम हैं। जिसमें आनंद जायसवाल (ठेकेदार), 2 मछुआरे अरुण धीवर और विष्णु धीवर के नाम शामिल हैं।

पुजारी के वकील- हमसे पूछा गया सफाई वालों को अंदर आने ताला खोल दें? हमने ताला खोलने कह दिया।

चीफ जस्टिस- किसी को भी अंदर आने दे देंगे, देखेंगे नहीं कि उनके पास क्या है?

पुजारी के वकील- सफाई के लिए ठेका दिया गया था।

पुजारी के वकील- सर पूरे ट्रस्ट में से सिर्फ मुझ पर FIR की गई है।

चीफ जस्टिस- अभी सब आएंगे, डोंट वरी फॉर डैट…यू पिपुल आर एंजॉइंग योर लाइफ देयर।

पुजारी के वकील- सर…मैं पुजारी हूं सर

चीफ जस्टिस- हां, पुजारी भी मर्डर करता है…डोंट वरी फॉर डैट, बार-बार पुजारी और लेडी कहकर बचाव मत करिए। परिसर में जो कुछ भी हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी ट्रस्टी की होती है।

अब मामला जनहित याचिका में बदला

चीफ जस्टिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे जनहित याचिका (PIL) में परिवर्तित करने के आदेश दिए। रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया गया कि राज्य शासन, वन विभाग और संबंधित अधिकारियों को इस मामले में पक्षकार बनाया जाए। हाईकोर्ट ने वनमंडलाधिकारी (DFO) बिलासपुर को शपथपत्र के साथ विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

ट्रस्ट के निर्देश पर तालाब की सफाई हुई

केस की सुनवाई के दौरान पुजारी के वकील ने कहा कि, मंदिर ट्रस्ट ने तालाब की सफाई का निर्णय लिया था। मछुआरों को इसका ठेका दिया गया था। याचिकाकर्ता ने केवल ट्रस्ट के निर्देशानुसार तालाब का ताला खोला। मछुआरे सफाई के लिए अंदर गए और दो दिन बाद मृत कछुए पाए गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता की कोई सीधे तौर पर कोई भूमिका नहीं है।

नगरपालिका की भूमिका पर उठे सवाल

सुनवाई के दौरान रतनपुर नगरपालिका की वकील भी मौजूद रहीं। जब कोर्ट ने उनसे पूछा कि, क्या FIR नगरपालिका द्वारा दर्ज कराई गई, तो उन्होंने इनकार किया। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, कि फिर आप इस कोर्ट में किस हैसियत से खड़ी हैं। जवाब में बताया गया कि तालाब की जिम्मेदारी नगरपालिका ने मंदिर ट्रस्ट को सौंप दी है, इसलिए वे पक्षकार के रूप में उपस्थित हैं।

बाकी जिम्मेदार भी जांच के घेरे में आएंगे

चीफ जस्टिस सिन्हा ने स्पष्ट किया कि यदि ट्रस्ट ने निर्णय लिया है, तो सभी जिम्मेदार लोगों को जांच के दायरे में लाया जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहेगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को निर्धारित की गई है, जिसमें डीएफओ बिलासपुर से शपथ पत्र के साथ रिपोर्ट मांगी गई है।

कुंड में 23 कछुओं की मौत हुई थी

बता दें कि नवरात्र पर्व के पहले 24 मार्च को महामाया मंदिर परिसर स्थित कुंड में 23 कछुओं की मौत हो गई थी। तब बताया गया कि कुंड की सफाई के दौरान मछुआरों ने जाल डाला था, जिसमें फंसने से कछुओं की मौत हुई होगी। लेकिन, यह भी कहा गया कि मछुआरे सफाई के बाद मछली लेकर चले गए थे, जिसके दो दिन बाद कुंड में कछुए जाल में फंसे मिले। हाईकोर्ट ने इस पर आई मीडिया रिपोर्ट को जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है।

दम घुटने से हुई कछुओं की मौत

वन विभाग ने कछुओं का पोस्टमॉर्टम कराया है। पीएम रिपोर्ट में कछुओं की मौत दम घुटने से होने की पुष्टि हुई है। माना जा रहा है कि कुंड में जिस जाल को डाला गया, उसकी जाली पतली थी। जब कछुए इसमें फंसे होंगे तो बाहर निकलने के चक्कर में जाल में फंस गए, जिससे उनका दम घुट गया होगा।

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