एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी में क्या फर्क है? जानिए स्टंट कब लगाना जरूरी होता है..

जब किसी इंसान को हार्ट की बीमारी होती है या हार्ट अटैक आता तो अस्पताल में जाने के बाद डॉक्टर तीन चीजों का जिक्र करते हैं. इसमें पहली है एंजियोग्राफी दूसरी एंजियोप्लास्टी और तीसरी बाईपास सर्जरी है. ये तीनों ही मेडिकल टर्म है. लोगों में इनको लेकर अकसर कन्फ्यूजन ही रहता है. ऐसे में आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ये तीनों होती क्या हैं और इनकी जरूरत कब पड़ती है. इनमें अंतर के बारे में हम आपको बताएंगे.

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दिल की गंभीर बीमारियों का पता करने के लिए एंजियोग्राफी की जाती है. मरीज को इसकी सलाह तब दी जाती है जब दिल की आर्टरी और वेन्स में ब्लॉकेज की आशंका होती है. अगर किसी को सांस लेने में परेशानी हो और कई दिनों से छाती में दर्द है तो पहले ईसीजी टेस्ट किया जाता है. इसमें कोई गड़बड़ आती है तो मरीज की एंजियोग्राफी की जाती है. इसके जरिए यह आसानी से पता चल जाता है कि हार्ट में कहां और कितना ब्लॉकेज कहां है.

एंजियोग्राफी कोई इलाज नहीं बल्कि एक इमेजिंग प्रक्रिया वाला टेस्ट है. जिसमें डाई का उपयोग किया जाता है. डाई के जरिए नसों को एक्स-रे में स्पष्ट रूप से देखा जाता है. अगर हार्ट की नसों में ब्लॉकेज ज्यादा है, तो डॉक्टर एंजियोप्लास्टी कराने की सलाह देते हैं.

क्या होती है एंजियोप्लास्टी?

दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजीत जैन बताते हैं कि एंजियोप्लास्टी एक तरह की सर्जरी है. इसमें हार्ट की नसों से ब्लॉकेज को हटाया जाता है. इसमें एक छोटी गुब्बारे जैसे डिवाइस का यूज किया जाता है. इस दौरान पतली ट्यूब (कैथेटर) को नसों में डाला जाता है, आमतौर पर कलाई या जांघ के जरिए इसको शरीर में डाला जाता है. इसमें कैथेटर के सिरे पर एक छोटा गुब्बारा होता है जिसको ब्लॉकेज की जगह पर पहुंचाकर फुलाया जाता है, जिससे हार्ट की नसों से ब्लॉकेज हटता है.

इस प्रोसीजर में गुबारे के साथ एक एक स्टेंट (एक छोटी धातु की जाली) भी लगाई जाती है. स्टंट ब्लॉकेज को हटाता है. किसी एक व्यक्ति में एक से ज्यादा स्टंट भी लगाए जा सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि हार्ट की कितनी नसों में ब्लॉकेज है. हालांकि हर मामले में ब्लॉकेज को खत्म करने के लिए एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती है. कुछ लोगों को डॉक्टर बाईपास सर्जरी कराने की सलाह भी देते हैं.

बाईपास सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है

अपोलो अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. चिन्मय गुप्ता बताते हैं किजब डॉक्टरों को लगता है कि मरीज को स्टंट नहीं डाला जा सकता है या फिर एक से अधिक ब्लॉकेज है तो बाईपास सर्जरी की जाती है. यह व्यक्ति की उम्र और उसकी हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करता है. आमतौर पर भविष्य में हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए इसका सहारा लिया जाता है.

इस सर्जरी में सबसे पहले ग्राफ्टिंग की जाती है. इसमें सर्जनएक स्वस्थ नस को शरीर के दूसरे हिस्से से लेता है और इसे ब्लॉक हुई नस के चारों ओर लगाता है, जिससे हार्ट तक ब्लड फ्लों के लिए एक नया रास्ता बन जाता है. यहआमतौर पर हार्ट-फेफड़े की मशीन के साथ की जाती है, जिससे मरीज को कोई रिस्क न हो. इस सर्जरी के बाद हार्ट तक खून की आपूर्ति में सुधार होता है.

कितने फीसदी ब्लॉकेज में आपको क्या कराना चाहिए?

डॉ. चिन्मय गुप्ता बताते हैं कि हार्ट ब्लॉकेज के मरीज का इलाज दवा, एंजियोग्राफी या फिर बाईपास सर्जरी तीन तरीकों से किया जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि ब्लॉकेज कितना है. अगर ब्लॉकेज 20-30 फ़ीसदी है और मेन आर्टरी में नहीं है, तो दवाओं से इलाज किया जा सकता है. अगर ये 40-50 फ़ीसदी से ज़्यादा है, लेकिन दो जगहों से ज़्यादा नहीं है, तो स्टेंट डाला जा सकता है.

अगर ब्लॉकेज 70-80 फ़ीसदी से ज़्यादा है और सभी नसें ब्लॉक हैं, तो बाईपास सर्जरी की जा सकती है. ये सभी चीजें मरीज की उम्र उसकी हेल्थ हिस्ट्री के देखने के बाद तय की जाती है. कुछ मामलों में कम ब्लॉकेज होने पर भी स्टंट डाला जा सकता है. यह निर्णय डॉक्टरों की टीम मरीज के हिसाब से ही लेती है. ऐसे में अगर आपको हार्ट की बीमारी है तो अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ही इलाज कराएं.

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