Uttar Pradesh: सुल्तानपुर जिले के राजकीय मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकीय लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है, पेट दर्द और उल्टी से पीड़ित 50 वर्षीय महशर जहां को परिजन शुक्रवार रात 8:15 बजे इमरजेंसी में लेकर पहुंचे. बेड की कमी के कारण मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाया गया, डॉक्टर ने मरीज को देखकर चार इंजेक्शन लिख दिए.
परिजनों के नर्स से इंजेक्शन लगाने का आग्रह करने पर उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि, पहले गंभीर मरीजों का इलाज किया जाएगा. डॉक्टर की सीट के सामने ही स्ट्रेचर पर पड़ी महिला उल्टी सांस लेती रही. करीब डेढ़ घंटे तक बिना इलाज के तड़पने के बाद उसकी मौत हो गई. परिजनों के विरोध करने पर डॉक्टर ने कहा कि उनका काम सिर्फ मरीज को देखना है, इलाज करना नहीं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की कमी एक बड़ी समस्या है. इमरजेंसी में मात्र एक या दो नर्स और वार्ड बॉय तैनात हैं, जबकि मरीजों की संख्या बहुत अधिक है, नाम बदलकर मेडिकल कॉलेज कर दिया गया है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, पूर्व में लंबे समय तक प्राइवेट स्टॉफ सेवा देता रहा तो ऐसी समस्या उत्पन्न नहीं हुई। लेकिन जब से प्रिंसिपल का कार्यकाल आया उन्होंने प्राइवेट स्टॉफ से अभद्रता की, उन पर फर्जी केस लगवाए ऐसे में उन्होंने अस्पताल आना ही बंद कर दिया. अब मरीज बचे या मरे इससे प्रिंसिपल से सरोकार नहीं है.
इस बाबत सीएमएस डॉ. आरके मिश्रा ने फोन पर बताया कि, महिला ब्रॉड डेड थी, इलाज में लापरवाही का आरोप बेबुनियाद है.