अयोध्या: राम मंदिर निर्माण की हर एक प्रक्रिया श्रद्धा, शिल्प और तकनीक का अनुपम संगम बन चुकी है, अब इसी क्रम में एक और ऐतिहासिक क्षण जुड़ने जा रहा है, राम मंदिर के मुख्य शिखर पर लगने वाला धर्म ध्वज दंड, जो लगभग साढ़े पांच टन वजनी है। यह न केवल अपने आकार व भार में अद्वितीय है, बल्कि इसकी स्थापना भी एक विशिष्ट तकनीकी चुनौती बन गई है.
जहां मंदिर के अन्य सहायक मंदिरों पर लगने वाले धर्म ध्वज दंड का वजन महज 500 से 600 किलोग्राम के बीच है, वहीं मुख्य शिखर पर लगाया जाने वाला यह 40 फीट ऊंचा धर्म ध्वज दंड भारत के मंदिर स्थापत्य के इतिहास में अपनी तरह का पहला होगा.
भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक
धर्म ध्वज दंड न केवल धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह उस आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो लाखों श्रद्धालुओं को इस मंदिर से जोड़ती है। रामलला के मंदिर का यह ध्वज दंड मंदिर के स्थापत्य सौंदर्य और आध्यात्मिकता में चार चांद लगाने वाला है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह धर्म ध्वज दंड पारंपरिक शिल्प और आधुनिक इंजीनियरिंग का समन्वय है, इसकी बनावट, धातु संरचना और मजबूती को ध्यान में रखते हुए इसे विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है ताकि यह मौसम की विभिन्न स्थितियों को झेल सके और शताब्दियों तक टिका रह सके.
टावर क्रेन से होगी स्थापना
इतने भारी धर्म ध्वज दंड को मंदिर के शीर्ष पर स्थापित करना साधारण कार्य नहीं है। इसके लिए अत्याधुनिक टावर क्रेन की सहायता ली जाएगी, जिस प्रकार मंदिर के शिखर पर 108 फुट ऊंचे स्वर्ण कलश को क्रेन की मदद से स्थापित किया गया था, ठीक उसी तरह यह ध्वज दंड भी उसी विधि से चढ़ाया जाएगा.
इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए अहमदाबाद की एक प्रतिष्ठित कंपनी के विशेषज्ञों की टीम अयोध्या पहुंच चुकी है, यह टीम विगत कई वर्षों से भारी स्थापत्य परियोजनाओं पर कार्य कर चुकी है और इस कार्य में भी उनका अनुभव अमूल्य साबित हो रहा है.
लार्सन एंड टुब्रो और टीसीईएल की अहम भूमिका
राम मंदिर निर्माण कार्य की मुख्य कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो (L&T) इस धर्म ध्वज दंड की स्थापना का समन्वय कर रही है। साथ ही, टाटा कंसल्टेंसी इंजीनियर्स लिमिटेड (TCE) के वरिष्ठ अभियंता इस तकनीकी कार्य में सहयोग प्रदान कर रहे हैं.
टीसीईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहले मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश की स्थापना पूरी की जाएगी, और इसके बाद ही धर्म ध्वज दंड की स्थापना की जाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि मौसम अनुकूल रहा और सभी तैयारियां समय पर पूरी हो गईं, तो अप्रैल के अंतिम सप्ताह से मई के पहले सप्ताह के बीच इस भव्य ध्वज दंड की स्थापना संभव है.
स्थापना की प्रक्रिया: संयोजन विज्ञान और श्रद्धा का
ध्वज दंड की स्थापना में विशेष रूप से तैयार किए गए धातु के जोड़ और एंकरिंग तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. इसे स्थायी रूप से मंदिर के शिखर पर फिक्स करने के लिए इंजीनियरिंग की नवीनतम तकनीकों का सहारा लिया जाएगा। क्रेन की सहायता से इसे धीरे-धीरे मंदिर की ऊंचाई तक पहुंचाया जाएगा और फिर सटीक माप और संतुलन के साथ स्थापित किया जाएगा.
ध्वज दंड के शीर्ष पर स्थित धर्म ध्वज को विशेष वस्त्रों और परंपरागत शुभ चिह्नों से सजाया जाएगा, इसके साथ वैदिक मंत्रोच्चार और विशेष पूजा अनुष्ठान भी संपन्न होंगे, जिससे यह केवल स्थापत्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाएगा.
श्रद्धालुओं में उत्साह, अयोध्या में उमंग
राम मंदिर में हो रहे हर कार्य को लेकर न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश और विदेशों में बसे करोड़ों रामभक्तों में उत्साह है। धर्म ध्वज दंड की स्थापना के बाद मंदिर की आभा और तेज में और अधिक वृद्धि होगी, अयोध्या में इस समय मंदिर परिसर के भीतर और बाहर तीव्र गति से निर्माण और सजावट का कार्य चल रहा है। मंदिर की सजावट, प्रकाश व्यवस्था, प्रवेश द्वारों की भव्यता और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई गई हैं.
एक ऐतिहासिक क्षण की ओर अग्रसर
राम मंदिर के शिखर पर पांच टन से अधिक वजनी धर्म ध्वज दंड की स्थापना, केवल एक वास्तुशिल्पीय कार्य नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और अध्यात्म की शक्ति का प्रतीक है, यह धर्म ध्वज आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा—कि जब संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता.
रामनगरी अयोध्या इस ऐतिहासिक क्षण की ओर तेजी से अग्रसर है, जहां धर्म और विज्ञान मिलकर एक ऐसी संरचना को साकार कर रहे हैं, जो भारत की धार्मिक पहचान को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगी.