‘हम पर कार्यपालिका में हस्तक्षेप के आरोप लग रहे…’, बंगाल दंगों पर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिंसा प्रभावित पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा नेताओं के एक वर्ग द्वारा लगाए गए सीमा लांघने के आरोपों पर टिप्पणी की. शीर्ष अदालत दो महत्वपूर्ण फैसलों की पृष्ठभूमि में भाजपा नेताओं की आलोचना का सामना करना पड़ा है- राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित करना और संशोधित वक्फ अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाना.

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बंगाल में राष्ट्रपति शासन और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘आप चाहते हैं कि हम इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को रिट जारी करें? वैसे भी, हम कार्यपालिका (क्षेत्र) में अतिक्रमण करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं.’ यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जस्टिस बी.आर. गवई, जो अगले महीने मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे, संभवतः वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे.

BJP नेताओं ने SC पर न्यायिक अतिक्रमण के लगाए आरोप

इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 में निहित अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए तमिलनाडु के 10 विधेयकों को मान्यता दे दी थी, जो कई महीनों से राज्यपाल के पास लंबित थे. शीर्ष अदालत ने पहली बार यह भी निर्देश दिया कि राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय ले लेना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और सत्तारूढ़ भाजपा के कई नेताओं को पसंद नहीं आया. उन्होंने शीर्ष अदालत पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी करने का आरोप लगाया.

शीर्ष अदालत सुपर संसद की तरह काम कर रही है: धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए जोर देकर कहा कि शीर्ष अदालत ‘सुपर संसद’ की तरह काम कर रही है, वहीं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि ‘देश में हो रहे सभी गृहयुद्धों’ के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं. भाजपा सांसद ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है, तो देश की संसद और राज्य विधानसभाओं को ताला लगा देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने शीर्ष अदालत को निशाना बनाने के लिए निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही की मांग की है.

कोई संसद या राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकता: दिनेश शर्मा

उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता दिनेश शर्मा ने भी शीर्ष अदालत की आलोचना करते हुए कहा कि कोई भी संसद या राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकता. हालांकि भाजपा ने दुबे और शर्मा की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन इससे विपक्ष को सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला करने का मौका मिल गया है. इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद बंगाल में राष्ट्रपति शासन और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग वाली याचिका पर कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया. बता दें कि बंगाल में हुए सांप्रदायिक दंगों में तीन लोगों की मौत हो गई, जिसमें कई वाहनों को आग लगा दी गई तथा दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई.

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