मध्य प्रदेश में परिवहन उड़नदस्तों को 15 मिनट में पूरी करनी होगी वाहनों की जांच

इंदौर। मध्य प्रदेश में परिवहन जांच चौकियों(MP News) को बंद किए जाने के बावजूद वाहनों से अवैध वसूली की शिकायतें लगातार परिवहन विभाग के पास पहुंच रही थीं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा ने जांच प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

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इसमें परिवहन चेक प्वाइंट और संभागीय परिवहन सुरक्षा स्क्वाड(MP transport squads) को 15 मिनट में वाहन की जांच पूरी करना होगी। बगैर वाजिब कारण के वाहन को इससे अधिक समय तक नहीं रोका जा सकेगा। अधिक समय तक रोके जाने पर इसका कारण बताना होगा। एक वाहन की जांच पूरी होने के बाद ही दूसरे वाहन को उड़नदस्ते रोक सकेंगे। जांच के दौरान बॉडी वार्न कैमरे भी अनिवार्य किए गए हैं।

वर्दी पर नाम की प्लेट भी अनिवार्य

परिवहन आयुक्त के नए आदेश के अनुसार(New Vehicle Inspection Rule) अब जांच केवल अधिकृत वर्दीधारी अधिकारियों की उपस्थिति में ही की जा सकेगी। जांच के दौरान कम से कम एक सहायक परिवहन उप निरीक्षक का मौजूद होना अनिवार्य होगा। कर्मचारियों को वर्दी में रहना होगा और वर्दी पर नाम की प्लेट भी अनिवार्य होगी।

निर्देशों का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई

जांच प्रक्रिया के दौरान किसी भी निजी व्यक्ति की उपस्थिति को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। रात में जांच करने के दौरान ऐसे स्थान का चयन अनिवार्य होगा, जहां पर पर्याप्त रोशनी हो। स्टाफ को एलईडी बैटन और रिफ्लेक्टिव जैकेट उपलब्ध कराए जाएंगे। परिवहन आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

पीओएस मशीन से ही बनेंगे चालान

नए निर्देशानुसार जांच के दौरान परिवहन चेक प्वाइंट और संभागीय परिवहन सुरक्षा स्क्वाड के पास प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन की उपलब्धता अनिवार्य की गई है। इन मशीनों के माध्यम से ही वाहनों के चालान बनाने होंगे। नकद का लेन-देन पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। जहां मशीन उपलब्ध नहीं है, वहां प्राथमिकता से मशीन उपलब्ध कराई जाएगी।

दो बॉडी वार्न कैमरे चालू रखने होंगे

परिवहन विभाग के परिवहन चेक प्वाइंट और संभागीय उड़नदस्तों द्वारा की जाने वाली जांच की पूरी रिकार्डिंग की जाएगी। जांच दल को बॉडी वार्न कैमरे लगाने होंगे। जांच के दौरान दो कमरे चालू रहेंगे।

इनमें से एक लाइव मोड में होगा। अन्य कैमरे स्टैंड बाय मोड में रहेंगे। कैमरों की निगरानी और रिकार्डिंग की जिम्मेदारी संबंधित यूनिट प्रभारी पर होगी। जांच की रिकॉर्डिंग संभालकर रखना होगी और कैमरों को पूरी तरह से चार्ज रखना होगा।

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