जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है. इस हमले में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है. 10 लोग गंभीर रूप से घायल है, जिनका इलाज चल रहा है. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे टीआरएफ यानी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली है. सूत्रों द्वारा पता चला है कि जम्मू और कश्मीर में लश्कर और टीआरएफ की आतंकी गतिविधियों के पीछे आतंकवादी सैफुल्लाह खालिद का दिमाग है. वो इन हमलों का मास्टरमाइंड है.
लश्कर-ए-तैयबा डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद को सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है. ये हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मन हाफीज सईद का बहुत करीबी है. भारत में कई बड़े आतंकी हमलों में इसका नाम आता रहा है. ये हमेशा लग्जरी कारों से चलता है. इसकी सुरक्षा में हमेशा लश्कर के आतंकी अत्याधुनिक हथियारों से लैश रहते हैं. पाकिस्तान नें इसका रसूख इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां कि सेना के अफसर भी इसके उपर फूलों की बारिश करते हैं. ये पाकिस्तानी सेना के जवानों को भड़काने का काम करता है.
ताजा आतंकी हमले से दो महीने पहले ही सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था, जहां पाकिस्तान सेना की एक बड़ी बटालियन रहती है. वहां पाक सेना के एक कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे जेहादी भाषण देने के लिए बुलाया था. उसके वहां पहुंचने के बाद खुद कर्नल ने उसके उपर फूल बरसाए. इसके बाद इसने पाक सेना को भारत के खिलाफ जमकर भड़काया. उसने यहां तक कहा कि वे लोग भारतीय सैनिकों का जितना कत्ल करेंगे, अल्लाह उन्हें उतना उतना ही शवाब देगा. इसे चाहे जैसे अंजाम दिया जाए.
इसी तरह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आयोजित एक सभा में भी इसने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगाला था. इसने कहा था, ”मैं वादा करता हूं कि आज 2 फरवरी 2025 है. 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर हम कब्जा करने की पूरी कोशिश करेंगे. आने वाले दिनों में हमारे मुजाहिदीन हमले तेज कर देंगे. हमें उम्मीद है कि 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर आजाद हो जाएगा.” इस सभा का आयोजन आईएसआई और पाक सेना ने मिलकर किया था. उसे सुनने के लिए बड़ी संख्या में हथियारबंद आतंकी शामिल हुए थे.
एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल सैकड़ों पाकिस्तानी लड़कों ने एबटाबाद के जंगलों में आयोजित एक आतंकी कैंप में हिस्सा लिया था. इसे लश्कर-ए-तैयबा के पॉलिटिकल विंग पीएमएमएल और एसएमएल ने आयोजित किया था. इसमें सैफुल्लाह कसूरी भी मौजूद था. उसने इस कैंप से आतंकी हमलों के लिए लड़कों का चयन किया था, जिन्हें बाद में टारगेट किलिंग के लिए ट्रेनिंग दी गई थी. यहां भी सैफुल्लाह ने भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर वहां मौजूद लड़कों को उकसाया था.
इन लड़कों को आतंकी ट्रेनिंग देने के बाद पाकिस्तानी सेना की मदद से सीमा पार घुसपैठ कराने की बात भी सामने आई थी. 5 अगस्त 2019 को संविधान में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाया गया था. इसके बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को कवर करने के लिए आईएसआई ने टीआरएफ यानी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ का गठन किया था. पाकिस्तानी सेना इस आतंकी संगठन की मदद करती है. लश्कर के फंडिंग चैनलों का इस्तेमाल होता है.
गृह मंत्रालय ने भी राज्यसभा में बताया था, “द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है.” साल 2019 में टीआरएफ अस्तित्व में आया था. उसके बाद से वो जम्मू और कश्मीर में लगातार आतंकी हमले कर रहा है. टीआरएफ का ‘हिट स्क्वॉड’ और ‘फाल्कन स्क्वॉड’ आने वाले दिनों में कश्मीर में बड़ी चुनौती पेश कर सकता है. इस आतंकी मॉड्यूल को टारगेट किलिंग को अंजाम देने, जंगली और ऊंचे इलाकों में छिपने के लिए ट्रेंड किया गया है.