Operation Zeppelin: गिरे नहीं, गरजे अदाणी! शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग के खिलाफ कॉरपोरेट पलटवार की सबसे खुफिया कहानी

साल 2023 में जब अमेरिका की फॉरेंसिक रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप पर एक के बाद एक झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए इसे ‘कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’ बताया था, तो विरोधियों को लगने लगा कि मेहनत और लगन से बनाया गया गौतम अदाणी का कारोबारी साम्राज्‍य बिखर जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

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रिसर्च फर्म के नाम पर शॉर्टसेलिंग करने वाले हिंडनबर्ग के खिलाफ पर्दे के पीछे एक जवाबी रणनीति तैयार की जा रही थी- ऑपरेशन जेपेलिन (Operation Zeppelin).

ये कहानी आपको फिल्मी लग सकती है, लेकिन ये सच्चाई है और एक कॉरपोरेट ग्रुप की साहसिक वापसी की मिसाल है.

नाम के पीछे की वजह

शॉर्टसेलर ने रिसर्च के नाम पर खोली गई अपनी दुकान का नाम ‘हिंडनबर्ग’ उस बदनाम एयरशिप से लिया था, जो 1937 में न्‍यू जर्सी पहुंचते ही आग की लपटों में घिर गया था. इसी को पलटते हुए अदाणी ग्रुप ने अपनी रणनीति को ‘ऑपरेशन जेपेलिन’ नाम दिया, जो असल में प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी के जासूसी और बमबारी करने वाले एयरशिप्स का नाम था.

गिर कर उठने वाला ‘बाजीगर’

जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आते ही अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई, और बाजार में 150 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा की पूंजी खाक हो गई. अदाणी ग्रुप की सबसे बड़ी पब्लिक ऑफरिंग रद्द करनी पड़ी थी. लेकिन यह संकट ज्‍यादा दिन नहीं चला.

अदाणी ग्रुप ने तेजी से वापसी की योजना बनाई. एक तरफ सार्वजनिक बयानबाजी कर आरोपों को झूठा साबित करना तो दूसरी तरफ कानूनी प्रयास जारी रहे. निवेशकों को भरोसा दिलाने की कोशिशें की गईं. साथ ही एक गुप्त ऑपरेशन शुरू हुआ, जिसे बाद में ‘ऑपरेशन जेपेलिन’ कहा गया.

इजरायल से लेकर अमेरिका तक नेटवर्क

रिपोर्ट जारी होने के समय गौतम अदाणी इजरायल में 1.2 बिलियन डॉलर की ‘हाइफा पोर्ट डील’ को अंतिम रूप दे रहे थे. ये डील इजरायल की सबसे बड़ी प्राइवेटाइजेशन स्‍कीम थी. शुरुआती दौर में 18 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई, लेकिन केवल पांच को अंतिम प्रस्‍ताव देने की अनुमति मिली. और फिर फाइनली प्रोजेक्ट अवार्ड हुआ, अदाणी ग्रुप के APSEZ और गैडोट मासोफिम फॉर केमिकल्स लिमिटेड के ज्वाइंट वेंचर को. 18 महीने तक चली जटिल प्रक्रिया के बाद 31 जनवरी 2023 को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू की मौजूदगी में इस डील पर साइन हुआ.

एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी ने अदाणी से आरोपों पर सवाल पूछा और अदाणी ग्रुप ने स्‍पष्‍ट किया कि ये सब झूठ है. हाइफा पोर्ट के प्रेसिडेंट और इजरायली जासूसी एजेंसी मोसाद में अधिकारी रह चुके एशेल अरमोनी भी उस बातचीत में मौजूद थे. इजरायली एजेंसियों को ये शक हुआ कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का मकसद हाइफा डील को नुकसान पहुंचाना हो सकता है, जो भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए अहम मानी जाती है.

हिंडनबर्ग के मास्‍टरमाइंड पर नजर

ऑपरेशन जेपेलिन के तहत अमेरिका के न्यूयॉर्क बेस्‍ड हिंडनबर्ग रिसर्च और इसके फाउंडर नाथन एंडरसन पर नजर रखी गई. सूत्रों के अनुसार, कुछ पूर्व खुफिया अधिकारियों ने वकीलों, पत्रकारों, हेज फंड्स और राजनीतिक हस्तियों का ऐसा नेटवर्क खोज निकाला जिनके कुछ तार चीन से, तो कुछ अमेरिका के पावर ब्रोकर्स से जुड़े होने का शक था. शिकागो के पास ओकब्रुक टैरेस में एक परिसर की निगरानी से इस बात के सुराग मिले कि दुनिया के कई हिस्सों में फैले एक्टिविस्ट्स, निवेशक और वैकल्पिक एसेट मैनेजमेंट फर्म्स के बीच इनक्रिप्‍टेड बातचीत हो रही थी.

गौतम अदाणी की रणनीति

गौतम अदाणी को इस ऑपरेशन की जानकारी जनवरी 2024 में स्विट्जरलैंड यात्रा के दौरान दी गई. उन्होंने कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि रणनीतिक जवाब देना चुना. उन्होंने शोर मचाने की बजाय रणनीति से जवाब दिया.

  • अहमदाबाद में साइबर एक्सपर्ट्स और एनालिस्ट्स के साथ एक हाई-टेक कंट्रोल रूम तैयार किया गया.
  • अंतरराष्ट्रीय कानूनी टीमें बनाई गईं. अमेरिकी प्रशासन के कुछ प्रभावशाली लोगों को ब्रीफ किया गया.

अक्टूबर 2024 तक ‘जेपेलिन डोजियर’ 353 पेजों का हो चुका था, जिसमें अमेरिका की कुछ एजेंसियों और मीडिया प्लेटफॉर्म्स के कथित लिंक उजागर हुए जो अदाणी विरोधी नैरेटिव को बढ़ा रहे थे.

कानूनी मोर्चे पर लड़ाई

शाॅर्टसेलर मामले में अदाणी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से क्‍लीन चिट मिल चुकी थी. फिर एक बार नवंबर 2024 में अमेरिकी न्याय विभाग और SEC ने अदाणी और कुछ अधिकारियों पर भारत में रिन्यूएबल पावर कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के लिए रिश्वत देने के आरोप लगाए. इन आरोपों में भी कोई सच्‍चाई नहीं थी और इसलिए अदाणी ग्रुप ने इन्‍हें खारिज किया. बाद में ट्रंप सरकार में आरोप लगाने वालों पर ही गाज गिरी. इसके साथ ही हिंडनबर्ग और नाथन एंडरसन के खिलाफ न्यूयॉर्क की साउदर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमे की तैयारी शुरू हो गई. एक सात पेज का लीगल नोटिस एंडरसन के दफ्तर भेजा गया. सूत्रों का कहना है कि मैनहटन में एक मीटिंग का प्रस्ताव भी दिया गया था, लेकिन ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि बैठक हुई या नहीं. 15 जनवरी 2025 को, अपनी रिपोर्ट के दो साल पूरे होने से ठीक एक हफ्ते पहले, हिंडनबर्ग रिसर्च ने औपचारिक रूप से अपने ‘खात्‍मे’ की घोषणा कर दी.

‘ऑपरेशन जेपेलिन’ की सारी जानकारी शायद कभी सार्वजनिक न हो, लेकिन जानकार मानते हैं कि ये आधुनिक कॉरपोरेट इतिहास की सबसे सुनियोजित और साहसी ‘कमबैक स्ट्रैटेजी’ है, जहां बिजनेस, डिप्लोमेसी और साइबर इंटेलिजेंस ने मिलकर बाजी पलट डाली.

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