एंटी नक्सल ऑपरेशन में बड़ी सफलता, जवानों को पहाड़ों में मिली विशाल गुफा, 100 घंटे से जारी अभियान..

छत्तीसगढ़ में देश का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है. मार्च 2026 में नक्सलवाद के खात्मे को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने समय तय कर दिया, जिसके लिए अब से ठीक 300 दिन का समय बचा हुआ है. शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में बीते 100 घंटों से ऑपरेशन बदस्तूर जारी है.

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45 डिग्री के तापमान में बीते 5 दिनों से चल रहे इस ऑपरेशन में जवानों को बड़ी सफलता भी हाथ लगी है. सूत्रों की मानें तो जवानों को कर्रेगुट्टा के पहाड़ियों में एक बड़ी गुफा मिली है. जवानों ने देर शाम इस गुफा का मुआयना किया है.

अंदर लगभग 1000 नक्सली

बताया जा रहा है कि यह गुफा इतनी विशाल है कि इसके अंदर लगभग 1000 नक्सली मौजूद हो सकते थे. हालांकि जब तक जवान पहाड़ियों में ऊपर चढ़ते हुए इस गुफा तक पहुंचे तब तक नक्सलियों ने कई साजो समान छोड़ कर वहां से भाग खड़े हुए. बताया जा रहा है कि गुफा के अंदर कई दिनों तक पनाह लेने और साथ ही पानी से लेकर खाने तक की सभी सुविधाएं भी मौजूद थीं. ऑपरेशन के दौरान जवानों द्वारा ली गई गुफा की तस्वीरें और वीडियो भी मौजूद हैं.

भीषण गर्मी से डिहाइड्रेशन का बढ़ा खतरा

बता दें कि छत्तीसगढ़ में नक्सियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया जा रहा है. बीते दो दशकों में नक्सल विरोधी अभियान का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है. पुलिस और इंटेलिजेंस को मिली सूचनाओं के आधार पर नक्सली लीडर देवा और हिडमा जैसे अन्य लोगों के भी मौजूद होने की संभावना है. यही वजह है कि इस ऑपरेशन को मॉनिटर करने छत्तीसगढ़ के सभी सीआरपीएफ, कोबरा सहित अन्य बटालियन के अधिकारी बीजापुर में मौजूद हैं.

शांति वार्ता की पहल करने की अपील

यही नहीं भीषण गर्मी में भी जवानों का हौसला बुलंद है. लेकिन माओवादियों की हालत पस्त हो रही है. यही वजह हो सकती है कि माओवादियों के नेता रूपेश को एक प्रेस नोट जारी कर सरकार से अपील करना पड़ा कि ऑपरेशन को तुरंत रोका जाए और शांति वार्ता की पहल की जाए. कर्रेगुट्टा के पहाड़ियों में छिपे नक्सली लीडरों को एक तरफ पहाड़ के चारों तरफ जवानों कि घेराबंदी और गोलियों से मारे जाने का खतरा है तो वहीं दूसरी तरफ भीषण गर्मी और लंबे समय तक चल रहे मुठभेड़ से पहाड़ों में खाने और पानी की समस्या के कारण डिहाइड्रेशन से मौत का खतरा बढ़ गया है.

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