‘अहिंसा सबसे साहसी विकल्प…’, पहलगाम हमले पर बयान देकर घिरे रॉबर्ट वाड्रा ने दी सफाई, महात्मा गांधी को किया याद

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश है. इस बीच रॉबर्ट वाड्रा ने पहलगाम हमले को लेकर दिए गए अपने बयान पर सफाई दी है.

Advertisement

उन्होंने कहा कि मैं ये शब्द पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ लिख रहा हूं. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप इन्हें उसी ईमानदार भावना के साथ ग्रहण करें, जिस भावना से ये लिखे जा रहे हैं. यह स्पष्ट है कि मैंने जो कुछ साझा किया, उसे उसके संपूर्ण संदर्भ में ठीक तरह से नहीं समझा गया. चूंकि मेरे इरादों की गलत व्याख्या की गई, इसलिए मैं समझता हूं कि उन्हें स्पष्ट करना मेरी जिम्मेदारी है. मैं ईमानदारी, पारदर्शिता और सम्मान के साथ खुद को स्पष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध हूं.

वाड्रा ने कहा कि मैंने कुछ दिन मौन रहकर इंतजार करने का फैसला किया लेकिन इसे खामोशी, उदासीनता या देशभक्ति की कमी न समझा जाए. असल में, अपने देश के प्रति मेरे गहरे प्रेम, सत्य के प्रति मेरे सम्मान और समर्पण के प्रति मेरी प्रतिबद्धता के कारण ही मैंने बोलने से पहले चिंतन करने का समय लिया.

उन्होंने कहा कि मौन वह पड़ाव है जहां जिम्मेदारी परिपक्व होती है, भावनाएं शांत होती हैं और शब्दों का चयन आवेग के बजाय सावधानी से किया जा सकता है. मैं इस बारे में स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरे विचार क्या हैं- पहलगाम में जो आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें निर्दोष लोगों की जान ली गई और उनके परिवार बिखर गए, उसकी मैं कड़ी से कड़ी निंदा करता हूं. मैं भारत के साथ खड़ा हूं और हमेशा खड़ा रहूंगा. राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक किसी भी रूप में ऐसा कोई तर्क नहीं है जिसके सहारे निर्दोष निहत्थे लोगों के विरुद्ध हिंसा को माफ किया जा सके.

वाड्रा ने कहा कि मेरा मानना है कि किसी भी रूप में आतंकवाद न केवल इंसानों पर बल्कि समूची इंसानियत की आत्मा पर हमला है. यह हर इंसान के भयमुक्त जीवन जीने के बुनियादी अधिकार को खत्म कर देता है. निर्दोष लोगों के खून बहाने के कृत्य को जायज ठहराने के लिए कोई भी कारण, कोई भी तर्क उचित नहीं हो सकता. जिनका जीवन छिन गया, जिनका भविष्य छिन गया, जिनके दिल अकल्पनीय दुख से भर गए हैं, उन सबके लिए मैं शोक व्यक्त करता हूं और मैं सभी से महात्मा गांधी जी की सीख को याद करने का आग्रह करता हूं. उन्होंने कहा था कि अहिंसा सबसे साहसी विकल्प होता है. हमारे देशवासियों का दुख हमारा अपना दुख है. आज इस दुख की घड़ी में एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करता हूं जहां कोई भी बच्चा, कोई भी परिवार, कोई भी समुदाय आतंक के साये में न रहे.

रॉबर्ट वाड्रा ने क्या कहा था?

 

कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने कहा था कि हमले में हिंदुओं को पहचान कर गोली मारी गई, जो कि एक मैसेज है कि भारत में मुस्लिम खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं, और इसके पीछे बीजेपी सरकार द्वारा चलाए जा रहे हिंदुत्व के एजेंडे को जिम्मेदार ठहराया.

रॉबर्ट वाड्रा ने कहा था कि हमारे देश में यह सरकार लगातार हिंदुत्व की बात करती है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय असहज और परेशान महसूस करता है. इस आतंकी हमले का विश्लेषण करें कि वे (आतंकवादी) लोगों की पहचान करके टारगेट करते हैं तो वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हमारे देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक विभाजन पैदा हो गया है. उन्होंने कहा कि पहचान पूछकर हिंदुओं को मारना एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया संदेश है.

वाड्रा ने कहा कि इस तरह की घटनाएं ऐसे संगठनों को यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि हिंदू पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए परेशानी बन गए हैं. पहचान देखकर किसी की हत्या करना, यह प्रधानमंत्री के लिए संदेश है, क्योंकि मुसलमान खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं. अल्पसंख्यक खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं. यह विश्वास ऊपर से आना चाहिए कि हम एक सुरक्षित और धर्मनिरपेक्ष देश में रह रहे हैं.

Advertisements