नैनोटेक्नोलॉजी और कोविड पर पतंजलि ने की रिसर्च, ये जानकारी आई सामने

कोरोना महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी. आज भी इस वायरस के मामले आते रहते हैं. वायरस की पहचान और इलाज के लिए कई नई तकनीकें और वैक्सीन विकसित हुई हैं. इसी क्रम मेंकोविड वायरस की पहचान में नैनोटेक्नोलॉजी आधारित निदान तकनीकें काफी फायदेमंद हो सकती है. पतंजलि शोध संस्थान की रिसर्च में यह जानकारी सामने आई है. रिसर्च में बताया गया है कि नैनोटेक्नोलॉजी आधारित वायरस-जैसे कण टीके COVID-19 के खिलाफ प्रभावी हो सकते हैं. नेनोकण स्पेशल सेल्स या टिश्यू को टारगेट कर सकते हैं. कोरोना महामारी ने दुनियाभर में असर डाला था. तब इससे बचाव के लिए नए उपचार और टीकों की आवश्यकता थी. रिसर्च में कोविड की वैक्सीन और इसकी पहचान में नैनोटेक्नोलॉजी को काफी असरदार माना है.

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नैनोटेक्नोलॉजी कोविड-19 की पहचान समय पर कर सकती है. इससे वैक्सीन निर्माण में भी मदद मिलती है. नैनोटेक्नोलॉजी कई तरह के वायरल संक्रमणों की रोकथाम में मदद कर सकते हैं. यह काफी सुरक्षित भी है. नैनो टेक्नोलॉजी विज्ञान और इंजीनियरिंग की वह शाखा है जो परमाणुओं और अणुओं के साथ हेरफेर करके संरचनाओं, उपकरणों और प्रणालियों को डिजाइन, उत्पादन और उपयोग करती है. कोरोना महामारी के बाद नैनोटेक्नोलॉजी को लेकर काफी चर्चा की गई. इसके बाद इसके असर को लेकर पतंजलि ने रिसर्च की. जिसमें काफी अच्छे परिणाम मिलें.

नैनोटेक्नोलॉजी कोरोना के डायग्नोज में कैसे मददगार?

नैनोटेक्नोलॉजी आधारित बायोसेंसर कोरोना वायरस की पहचान करने में मदद कर सकते हैं. इस वायरस का जल्दी और सटीक निदान हो सकता है. नैनोटेक्नोलॉजी आधारित निदान तकनीकें अधिक संवेदनशील होती हैं. इनमें वायरस की पहचान करने में सटीक नतीजे मिलने की संभावना रहती है. नैनोटेक्नोलॉजी कोरोना वैक्सीन में मददगार हो सकती है. इससे तैयार वैक्सीन डिलीवरी सिस्टम वैक्सीन को स्पेशल सेल्स तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं. नैनोटेक्नोलॉजी वैक्सीन की प्रभावशीलता बढ़ाने में मदद कर सकती है. इससे वायरस की सही पहचान करके उसको खत्म करने में मदद मिलती है.

ट्रायल में इन बीमारियों के खिलाफ भी प्रभावी

नैनोटेक्नोलॉजी संबंधित प्री-क्लीनिकल ट्रायल में, नैनो तकनीक-आधारित उपकरण सांस संबंधित वायरस, हर्पीज वायरस, ह्यूमन पेपिलोमावायरस और एचआईवी सहित कई बीमारियों के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है. पॉलिमरिक, अकार्बनिक और कार्बनिक नैनोकण (10−9) जैविक एजेंट हैं, जो उन्हें एक आशाजनक उपकरण बनाते हैं. जो इन बीमारियों की सही पहचान और इलाज में भी मदद कर सकती है.

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