मऊगंज : जिले में इन दिनों कानून व्यवस्था की गाड़ी जिस रफ्तार से पटरी से उतरी है, उतनी ही बेशर्मी से नियमों की धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं. पुलिस, जिसे कानून का पालन कराने का जिम्मा सौंपा गया है, अब खुद कानून को धत्ता बता रही है.
हनुमना थाना प्रभारी की गाड़ी पर न तो कोई नंबर प्लेट है, न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए काली फिल्म हटाई गई है. गाड़ी ऐसे सजे धजे घूमती है, मानो ‘अपराधियों पर धाक जमाने’ के लिए नहीं, ‘कानून पर धाक जमाने’ के लिए निकली हो.
चौंकाने वाली बात तो यह है कि यह गाड़ी अक्सर कलेक्ट्रेट परिसर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने खड़ी दिखाई देती है, और वहां से गुजरने वाले अधिकारी ऐसे बर्ताव करते हैं, मानो सब कुछ ‘ठीक-ठाक’ हो. लगता है कि मऊगंज प्रशासन के लिए ‘नियम’ अब सिर्फ जनता के लिए हैं, पुलिस के लिए नहीं.
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत हर वाहन पर वैध नंबर प्लेट होना अनिवार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने भी काली फिल्म पर रोक लगाई है. लेकिन मऊगंज में इन नियमों की अहमियत उतनी ही है जितनी बारिश में खोए पुराने पोस्टर की — दिखती तो है, पर कोई पढ़ता नहीं.
मऊगंज को जिला बने भले ही वक्त हो गया हो, लेकिन जिम्मेदारी का एहसास अभी तक पुलिस-प्रशासन के दफ्तरों में दाखिल नहीं हो पाया है. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है, और जो लोग व्यवस्था सुधारने के लिए हैं, वे खुद व्यवस्था को अपने जूतों तले रौंद रहे हैं.
क्या मऊगंज में कानून सिर्फ किताबों और भाषणों तक सीमित रह गया है? या फिर यहां अब ‘जो वर्दी पहने वही कानून’ का दौर चल पड़ा है?
फिलहाल तो जनता बस यही कह रही है.
“साहब! कानून हम पर भारी है, और पुलिस पर छूट जारी है!”