मध्य प्रदेश के उज्जैन में 24 अप्रैल को महाकालेश्वर मंदिर में साइंटिस्टों की एक टीम पहुंची, जहां देशभर में अच्छी बारिश के लिए एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. ये यज्ञ 24 अप्रैल से 29 अप्रैल तक किया जाएगा. इस यज्ञ का बारिश पर कितना प्रभाव पड़ेगा. इसका पता लगाने के लिए साइंस्टिस्ट की टीम रिसर्च करेगी, जो मंदिर पहुंची और स्टडी की.
मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और वैज्ञानिक परिषद (Madhya Pradesh Council of Sci-ence and Technology and Scien-tific Council), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर (Indian Institute of Technology Indore) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology) IITM ने एक रिसर्च प्रोजेक्ट की शुरुआत की है.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
रिसर्च प्रोजेक्ट की शुरुआत
ये रिसर्च प्रोजेक्ट ये पता लगाने के लिए शुरू किया गया है कि क्या सोम यज्ञ (एक हवन), जिसमें औषधीय पौधे सोमवल्ली (सरकोस्टेमा ब्रेविस्टिग्मा, एक तरह का ओलियंडर) का रस अग्नि में चढ़ाया जाता है. वह पर्यावरण को साफ कर सकता है और बादल संघनन (cloud condensation) को रोक सकता है, जिससे बारिश का पता चलता है.
25 पुजारियों ने हिस्सा लिया
24 से 29 अप्रैल तक होने वाले इस यज्ञ में कर्नाटक और महाराष्ट्र से करीब 25 पुजारियों ने हिस्सा लिया, जो ये यज्ञ करने के लिए पहुंचे. इस दौरान साइंटिस्ट की टीम ने कई पैरामीटर्स जैसे यज्ञ से निकलने वाली गैस, तापमान और आर्द्रता में बदलाव, एरोसोल बिहेवियर और बादल संघनन का अध्ययन किया. वैज्ञानिक आर्मी इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करके अनुष्ठान की लपटों से निकलने वाले कणों की जांच कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरह के बदलाव का पता लगाया जा सके.
बारिश के पैटर्न पर प्रभाव
साइंटिस्ट के रिसर्च का मकसद यह ये पता लगाने की कोशिश करना है कि क्या इस तरह के यज्ञों से बारिश के पैटर्न पर कोई प्रभाव हो सकता है. पिछले साल भी ऐसा ही यज्ञ किया गया था. इस बार वेदमूर्ति अध्वर्यु प्रणव काले, शौनक काले, ब्रह्मा यशवंत तालेकर, उद्गाता मुकुंद जोशी और गणेश कुलकर्णी समेत 25 पुजारी अनुष्ठान कर रहे हैं. इसके बाद 8 मई से 13 मई तक देवघर और द्वारका में भी अनुष्ठान किया जाएगा.