अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि परिसर में नवनिर्मित पूरक मंदिरों में मूर्तियों की स्थापना का कार्य अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) से प्रारंभ हो गया है.राम मंदिर के चारों ओर लगभग 800 मीटर लंबे परकोटे के भीतर और बाहरी परिधि में स्थित मंदिरों में शिखरों पर कलश चढ़ाने का कार्य भी तेजी से चल रहा है.इन पूरक मंदिरों में सप्तर्षियों के मंदिर, प्रमुख देवी-देवताओं के मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है.
परकोटे के बाहर सप्तर्षियों – महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, ऋषि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और माता अहिल्या – के सात मंदिर पूर्ण रूप से बनकर तैयार हैं। इनमें से ऋषि अगस्त्य की मूर्ति की स्थापना पहले ही हो चुकी है जबकि अन्य ऋषियों की मूर्तियों की स्थापना का कार्य जारी है. इन मंदिरों में औपचारिक पूजन के साथ मूर्तियों की स्थापना हो रही है, हालांकि वैदिक परंपरा के अनुसार इनमें प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाएगी.
वहीं, परकोटे के भीतर बनाए जा रहे छह देवी-देवताओं के मंदिरों में भी कार्य अंतिम चरण में है.मां दुर्गा, भगवान शंकर और सूर्यदेव के मंदिरों के शिखरों पर कलश स्थापित किए जा चुके हैं। जल्द ही भगवान गणेश, हनुमानजी और माता अन्नपूर्णा के मंदिरों पर भी कलश स्थापित किए जाएंगे। इन मंदिरों में जयपुर से आई देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी, जिसकी शुरुआत अक्षय तृतीया से हो चुकी है.
मूर्तियों की स्थापना के बाद, जून माह में सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा कर इन मंदिरों को विधिवत रूप से खोला जाएगा.
राम दरबार की मूर्तियों का कार्य फिलहाल जयपुर में प्रगति पर है.श्वेत संगमरमर से निर्मित ये दिव्य मूर्तियां 20 से 25 मई के बीच अयोध्या लाई जाएंगी.इन्हें राम मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित किया जाएगा। मूर्तियों की स्थापना के बाद, जून माह में एक भव्य आयोजन के अंतर्गत सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
राम मंदिर परिसर में चल रही इस विस्तृत धार्मिक प्रक्रिया को देखने और उसका साक्षी बनने के लिए देशभर से श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं.दर्शन की व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से होगी, और मूर्तियों की स्थापना पूरी होने के बाद सभी पूरक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे.इस ऐतिहासिक धार्मिक परियोजना के तहत राम नगरी में एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो रहा है.