छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण यानी री-एडजस्टमेंट शुरू करने का फैसला लिया है। मतलब ये कि “सरकार ने तय किया है कि स्कूलों और शिक्षकों को जरूरत और संख्या के हिसाब से दोबारा व्यवस्थित किया जाएगा।”
और आसान भाषा में समझें तो, जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक हैं, वहां से हटाकर उन्हें उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षक नहीं हैं या बहुत कम हैं। ऐसा ही स्कूलों के लिए होगा, जरूरत के हिसाब से 2 स्कूलों को मर्ज किया जाएगा।
सरकार ने इसकी टाइमलाइन भी जारी कर दी है। इस फैसले से शिक्षकों में खासी नाराजगी है, जबकि पेरेंट्स एसोसिएशन इसे बच्चों के हित में बता रहा है। वहीं कांग्रेस इसे स्कूलों को बंद करने की साजिश करार दे रही है।
फैसले से नाराज शिक्षक संघों की दलील
- कुछ प्राइमरी स्कूलों में 5 क्लास के लिए सिर्फ दो ही टीचर रह जाएंगे, इससे बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा दोनों पर असर पड़ेगा।
- एक ही टीचर को अब क्लास पढ़ाने के साथ-साथ मिड-डे मील, डॉक्यूमेंट, रिपोर्ट सब खुद संभालना पड़ेगा।
- पहले से 57,000 से ज्यादा शिक्षक पद खाली हैं, प्रमोशन नहीं हुआ, नई भर्ती नहीं हो रही, उल्टा जो हैं उन्हें भी इधर-उधर भेजा जा रहा है।
- 2024 में भी इसी मुद्दे पर विवाद हुआ था और तब प्रक्रिया रोक दी गई थी। अब बिना समीक्षा के फिर से वही ऑर्डर लागू किया जा रहा है।
फैसले के समर्थन में पेरेंट्स एसोसिएशन
इसी बीच छत्तीसगढ़ के पेरेंट्स एसोसिएशन का कहना है कि, गांवों के सुनसान स्कूलों में पढ़ाई ठप थी, जबकि शहरों में टीचर खाली बैठ रहे थे। युक्तियुक्तकरण से हर स्कूल में कम-से-कम दो-तीन शिक्षक होंगे, मिड-डे मील और क्लासरूम की देख-रेख बेहतर होगी।
- शहरों में हजारों शिक्षक ‘अतिशेष’ हैं यानी जरूरत से ज्यादा हैं।
- गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक वहां भेजना जरूरी है।
- इससे पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ेगी, स्कूलों की हालत सुधरेगी।
कांग्रेस ने किया विरोध – बोली, यह स्कूल बंद करने की साजिश है
कांग्रेस ने युक्तियुक्तकरण को लेकर सरकार को निशाने पर लिया है पार्टी प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि कांग्रेस ने इस पूरे फैसले को ‘शिक्षकों का भयादोहन और स्कूल बंद करने की साजिश’ करार दिया है।
प्रवक्ता वर्मा कहते हैं कि ‘बिना किसी बातचीत के हजारों स्कूलों को बंद और रिक्त पदों को खत्म करने की ठगी है यह युक्तियुक्तकरण। पहले प्रमोशन, ट्रांसफर नीति और नई भर्ती पूरी हों, फिर इस तरह का बैलेंस बनाया जाए।’
कांग्रेस के आरोप
- सरकार का असली मकसद हजारों स्कूल बंद करके रिक्त पद खत्म करना है।
- 57000 पद खाली हैं, न प्रमोशन हुआ, न भर्ती
- युक्तियुक्तकरण के नाम पर बचा-खुचा ढांचा कमजोर किया जा रहा।
- यह फैसला बिना किसी सलाह और सुझाव के थोप दिया गया, जो लोकतांत्रिक नहीं है।
- इससे स्कूलों से जुड़े रसोईया, सफाईकर्मी और महिला समूहों की भी रोज़ी-रोटी पर असर पड़ेगा।