छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में सीमेंट संयंत्र के विस्तार को लेकर आयोजित जनसुनवाई में ग्रामीणों ने कड़ा विरोध किया। पलारी ब्लॉक के पत्थरचुआ, भालूकोना और मोहरा गांव में चूना पत्थर खदान के विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जनसुनवाई रखी थी।
ग्रामीणों ने संयंत्र पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संयंत्र पहले से ही पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। हाल ही में संयंत्र से जहरीली गैस रिसने से 50 से ज्यादा स्कूली बच्चे बीमार हुए थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कंपनी ने किसानों की जमीन कम दाम में खरीदी। रोजगार में स्थानीय लोगों की जगह बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि चुना पत्थर की खुदाई के लिए ब्लास्टिंग से आसपास की फसलें प्रभावित होंगी।
ग्रामीणों ने पेड़ों की कटाई से बढ़ते तापमान और कम होती बारिश की चिंता जताई। जल संकट गहराने की आशंका भी व्यक्त की। विरोध प्रदर्शन के बीच सीमेंट संयंत्र और जिला प्रशासन के अधिकारी जनसुनवाई अधूरी छोड़कर पीछे के दरवाजे से चले गए।
जनसुनवाई में पारदर्शिता का अभाव
ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें जनसुनवाई की सूचना न तो ग्राम पंचायतों के माध्यम से दी गई और न ही मुनादी कराई गई, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह प्रक्रिया केवल खानापूर्ति के लिए थी।
क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने भी प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें इस जनसुनवाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन और कंपनी मिलकर इसे गुपचुप तरीके से निपटाना चाहते थे। उन्होंने मांग की कि इस जनसुनवाई को तत्काल स्थगित किया जाए।
प्रभु बंजारे ने आशंका जताई कि अगर संयंत्र का विस्तार हुआ तो उनकी जमीनें छिन जाएंगी और वे बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी संयंत्र से गैस लीक हो चुकी है, जिससे बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी, इसलिए अब और जोखिम नहीं उठाया जा सकता।
ग्रामीण नीरज नायक ने आरोप लगाया कि जनसुनवाई के दौरान उनकी बात को दबाने की कोशिश की गई। उन्होंने संयंत्र के विस्तार को रोकने की मांग दोहराई।
वहीं, पूर्णिमा धुरंधर ने चिंता जताई कि संयंत्र के विस्तार से उनकी फसलें बर्बाद हो जाएंगी और पानी का संकट और गहरा जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने ग्रामीणों की बात नहीं सुनी तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
जनसुनवाई के दौरान डिप्टी कलेक्टर दीप्ति गोप्ते उपस्थित थीं, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बाद सुनवाई बीच में ही रोक दी गई। उन्होंने कहा कि जनसुनवाई के लिए 200 लोगों ने नाम दर्ज कराया था और सभी की बातों को वीडियो रिकॉर्ड किया गया है, जिसे पर्यावरण विभाग को भेजा जाएगा।
बीजेपी मंडल अध्यक्ष हेमंत बाघमार ने इस जनसुनवाई का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है, जिसकी जानकारी जहां सुनवाई हो रही है, उस गांव के लोगों को नहीं है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा घृतलहरें ने भी इसे केवल दिखावा बताते हुए कहा कि इससे सिर्फ कंपनी का ही लाभ होगा, आम जनता का नहीं।