लखीमपुर खीरी: चालीस साल बाद मिला बुजुर्ग महिला को न्याय, छलके आंसू

लखीमपुर खीरी: तहसील धौरहरा क्षेत्र में अपने पिता का नाम और उनकी संपत्ति का मालिकाना हक पाने के लिए एक बेटी को चालीस साल का लंबा संघर्ष करना पड़ा. आखिर सच्चाई की जीत हुई. एसडीएम न्यायिक ने साक्ष्यों और वकीलों की दलीलों के बाद उसे अपने पिता की इकलौती संतान मानते हुए उनकी संपत्ति का मालिकाना हक दिया.

धौरहरा तहसील क्षेत्र के गांव गुलरीपुरवा मजरा नयागांव निवासी गंगा की एकलौती पुत्री फूलमती है. फूलमती का विवाह साठ वर्ष पूर्व टोढ़ीपुरवा गांव निवासी गोबरे लाल से हुआ. पिता गंगा की मृत्यु के बाद 2007 में गांव के कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से खातेदार गंगा पुत्र जोधा को लाऔलाद दिखाकर कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर अपने नाम दर्ज करा ली.

जब गंगा की पुत्री फूलमती को इसकी जानकारी हुई तो उसे न्यायालय तहसीलदार के यहां अपने को इकलौती संतान बताते हुए याचिका की, पर कई वर्षों तक तारीख पर तारीख मिलने के बाद हार मिली. मुकदमे में एकपक्षीय आदेश कर दिखाया गया कि फूलमती उनकी पुत्री ही नहीं है.

इसके बाद पुनः वाद दायर के बाद फिर एसडीएम न्यायिक के यहां अपील की गई. अब चालीस साल बाद उन्हें न्याय मिला. न्यायालय के चक्कर लगा रही फूलमती की उम्र अब 80 साल की हो गई। इधर शासनादेश आया कि पुराने लंबित मामलों का निस्तारण जल्द हो, तब जाकर एसडीएम न्यायिक ने हल्का लेखपाल, नायब तहसीलदार से स्थलीय निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट मांगी.

जांच रिपोर्ट और फूलमती के अधिवक्ता सुशील कुमार कश्यप द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों एवं दलीलों के आधार पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फूलमती को खातेदार गंगा की इकलौती औलाद मानते हुए आदेश पारित कर वरासत की पुष्टि की.

एसडीएम न्यायिक शशिकांत मणि ने बताया पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर आदेश किया गया है। हां यह सच है कि वादी को उसका हक मिलने में देरी हुई, पर न्याय संगत है.

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