बिहार की सियासत में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के शिष्यों का बोलबाला रहा है. पिछले 35 साल से सूबे की सत्ता जिन लालू यादव और नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूमती रही है, यह दोनों दिग्गज भी जेपी के ही शिष्य हैं. बिहार एक बार फिर विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ा है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू यादव अपनी सियासी मशाल अपने बेटे तेजस्वी यादव को सौंप चुके हैं. नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल (यूनाइटेड) में भी उनके बेटे निशांत कुमार की लॉन्चिंग की डिमांड जोरों पर है.
जेपी के इन दोनों शिष्यों की नई पीढ़ी के साथ ही चर्चा में वो पार्टियां भी हैं, जिनका अभ्युदय पिछले कुछ महीनों में हुआ है. आज बिहार सीरीज में बात सूबे में नई उपज रही ऐसी ही पार्टियों की करेंगे. नई पार्टियों की लिस्ट में सबसे ताजा नाम है कांग्रेस के नेता रहे इंजीनियर आईपी गुप्ता की पार्टी इंडियन इंकलाब पार्टी का.
अखिल भारतीय पान महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर आईपी गुप्ता ने पटना के गांधी मैदान में पान समाज की महारैली की. इस रैली में जुटी भारी भीड़ के बीच इंजीनियर गुप्ता ने इंडियन इंकलाब पार्टी नाम से अपना दल बनाने का ऐलान किया था. उन्होंने पान समाज के लोगों को संबोधित करते हुए लालू यादव, नीतीश कुमार, जीतनराम मांझी, रामविलास पासवान जैसे नेताओं और उनकी पार्टी का जिक्र किया. आईपी गुप्ता ने कहा कि इनकी पार्टियां इसलिए चल सकीं, क्योंकि इनके पीछे सबसे पहले इनकी जमात खड़ी हुई. आज तांती-ततवा भी खड़े हो गए हैं और इंडियन इंकलाब पार्टी भी लड़ेगी, बिहार में इतिहास रचेगी.
उन्होंने पान समाज को आरक्षण देकर वापस ले लिए जाने का मुद्दा उठाया. इंडियन इंकलाब पार्टी ने पान समाज को आरक्षण और सत्ता में भागीदारी दिलाने के लिए संघर्ष को अपना एजेंडा बताया है. आईपी गुप्ता की कोशिश तांती-ततवा समाज को अपने पक्ष में गोलबंद करने की है.
हिंद सेना पार्टी
बिहार का सिंघम नाम से चर्चित शिवदीप लांडे ने भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी छोड़ अपनी पार्टी बना ली है. शिवदीप लांडे ने अप्रैल महीने में ही हिंद सेना पार्टी नाम से अपना राजनीतिक दल बनाने का ऐलान किया था. महाराष्ट्र के अकोला में जन्में शिवदीप लांडे ने बिहार चुनाव में अपनी उम्मीदवारी का भी ऐलान कर दिया है और कहा है कि हिंद सेना अपने उम्मीदवार उतारेगी. दबंग अधिकारी के रूप में चर्चित शिवदीप लांडे बिहार में बदलाव लाने को अपना राजनीतिक एजेंडा बताया है.
उन्होंने यह भी कहा था कि कई पार्टियों ने मुझे राज्यसभा भेजने, मंत्री-मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव दिए. लेकिन बिहार में बदलाव लाना चाहता हूं और इसलिए नई पार्टी बनाने का फैसला किया. गौरतलब है कि शिवदीप लांडे के ससुर विजय शिवतारे महाराष्ट्र की पुरंदर सीट से एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक हैं. पूर्व पुलिस अधिकारी शिवदीप लांडे युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हैं और उनकी पार्टी का फोकस भी इसी युवा वोटबैंक पर है.
जन सुराज
चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज नाम से नए राजनीतिक दल की स्थापना का ऐलान किया था. पीके ने गांधी जयंती के दिन पटना में बड़ी रैली कर जन सुराज पार्टी के गठन का ऐलान किया था. बिहार में बदलाव लाने की बात करने वाले पीके ने जन सुराज की सरकार बनने पर शराबबंदी खत्म करने का वादा किया है.
जन सुराज ने सूबे की सभी 243 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है. सही लोग, सही सोच, सामूहिक प्रयास के नारे के साथ बिहार के सियासी मैदान में उतरी जन सुराज पार्टी का एजेंडा समृद्ध बिहार बनाने, बिहार में बदलाव लाने और नया बिहार बनाना है. जन सुराज रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों के जरिये जाति-वर्ग से परे हटकर गरीब, युवा और बुद्धिजीवी वोटबैंक को अपने पाले में करने की कोशिश में है.
आप सबकी आवाज
बिहार में पीके की जन सुराज के ऐलान से कुछ ही महीने पहले एक नई पार्टी अस्तित्व में आई थी- आप सबकी आवाज. आप सबकी आवाज पार्टी का गठन पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने किया था. आरसीपी सिंह की गिनती कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद नेताओं में होती थी. वह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे. आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निकाल दिया था. जेडीयू के बाद आरसीपी बीजेपी में शामिल हुए, लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए में लौट आने के बाद पार्टी छोड़ दी थी. आरसीपी सिंह कुर्मी समाज से आते हैं, जिसे जेडीयू के लव-कुश समीकरण का आधार माना जाता है. आप सबकी आवाज पार्टी का फोकस भी कुर्मी वोटबैंक पर ही माना जा रहा है.
राष्ट्रीय प्रगति पार्टी की भी हो रही चर्चा
नई पार्टियों के साथ ही एक और दल चर्चा में है- राष्ट्रीय प्रगति पार्टी. राष्ट्रीय प्रगति पार्टी के अमरकांत साहू ने समर्थकों के साथ आरजेडी में शामिल हो गए और अपनी पार्टी का विलय कर दिया. अमरकांत साहू ने भामा शाह जयंती के मौके पर 29 अप्रैल को आरजेडी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में लालटेन थाम लिया. अमरकांत साहू वैश्य समाज से आते हैं और उनको साथ लाकर आरजेडी की कोशिश वैश्य समाज के बीच अपनी जमीन बनाने की है.