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UPI यूजर्स के लिए बड़ा बदलाव… अब सिर्फ 15 सेकेंड में होगा पेंमेट, 16 जून से नया नियम!

यूपीआई पेमेंट और भी तेज होने वाला है, क्‍योंकि 16 जून से एक बड़ा बदलाव लागू होने वाला है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) सर्विस को तेज और बेहतर करने के लिए एक खास बदलाव किया है. ट्रांजेक्‍शन स्‍टेटस की जांच करने और पेमेंट करने के लिए प्रतिक्रिया समय मौजूदा 30 सेकंड से घटकर सिर्फ 15 सेकंड रह जाएगा.

इस बदलाव से UPI के जरिए पैसे भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया सभी उपयोगकर्ताओं के लिए काफी तेज और अधिक कुशल हो जाने की उम्मीद है. 26 अप्रैल को जारी एक सर्कुलर में NPCI ने सभी बैंकों और पेमेंट ऐप्स को निर्देश दिया है कि वे 16 जून 2025 से नए प्रोसेसिंग नियमों को लागू करें. UPI हर महीने करीब 25 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल ट्रांजेक्शन प्रॉसेस करता है. ऐसे में NPCI के इस नए कदम से उम्मीद है कि UPI ट्रांजेक्शन की स्पीड और भरोसेमंद सर्विस में सुधार होगा.

सिर्फ 15 सेकेंड में होगा पेमेंट
इस बदलाव के बाद अब रिक्वेस्ट पे और रिस्पॉन्स पे सर्विस का रिस्पॉन्स टाइम 30 सेकंड से घटाकर 15 सेकंड, चेक ट्रांजेक्शन स्टेटस और ट्रांजेक्शन रिवर्सल के लिए 10 सेकंड और वैलिडेट एड्रेस के लिए 10 सेकंड किया गया है. इस बदलाव का उद्देश्‍य पेमेंट प्रॉसेस में तेजी आए और यूपीआई के पोटेशियल में तेजी आए. ये बदलाव भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्‍टम के रूप में UPI की बढ़ती लोकप्रियता के कारण हैं.

इस ग्रोथ को समायोजित करने और यूजर्स के अनुभव में सुधार करने के लिए, NPCI ने बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं (PSP) से नए प्रतिक्रिया समय का पालन करने के लिए अपने सिस्टम को अपडेट करने को कहा है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन बदलाव का उद्देश्य लेनदेन की सफलता दरों से समझौता करना नहीं है.

जब यूपीआई पेमेंट में आई थी रुकावट
यह बदलाव ऐसे समय में आया है, जब यूपीआई को हाल ही में कई आउटेज का सामना करना पड़ा. 12 अप्रैल को एक बड़ी आउटेज आई, जिसमें कई ट्रांजेक्‍शन फेल हुए थे और यूजर्स को बड़ी समस्‍याओं का सामना करना पड़ा था. मार्च और अप्रैल में तीन बार 26 मार्च, 1 अप्रैल और 12 अप्रैल को भी रुकावट आई, जिससे लोगों को डिजिटल पेमेंट में काफी परेशानी हुई.

क्‍यों आया था आउटेज?
इन आउटेज को लेकर NPCI की जांच में यह सामने आया कि इन रुकावटों की बड़ी वजह चेक ट्रांजेक्शन API पर ज्यादा लोड थी. कुछ बैंकों के पुराने ट्रांजैक्शन के लिए बार-बार रिक्वेस्ट भेजे जा रहे थे, जिससे सिस्टम पर दबाव बढ़ा और प्रोसेसिंग धीमी हुई.

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