अमेरिका में लगभग 10 साल बिताने के बाद, जब एक भारतीय टेक प्रोफेशनल जनवरी 2024 में भारत लौटा, तो उसके मन में अपने देश लौटने की खुशी थी. लेकिन यहां आने के बाद का अनुभव दिल तोड़ने वाला साबित हुआ. उसने जो आपबीती शेयर की, सोशल मीडिया पर उसको लेकर अलग-अलग राय है.
Reddit पर एक पोस्ट में उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि वे उस समय भारत लौटे जब उनकी कंपनी ने करीब 300 लोगों की छंटनी की. उनका H-1B वीज़ा खत्म हो गया था, और कंपनी ने ग्रीन कार्ड एप्लिकेशन भी वापस ले लिया.
Reddit पर वो लिखते हैं कि मैं जनवरी 2024 में भारत लौटा और अपने देश में फिर से बसने को लेकर उत्साहित था, लेकिन एक साल हो गया है और अब तक मैं एडजस्ट नहीं कर पाया हूं.
सिस्टम से हुए तंग
इस एक साल में उन्होंने दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में रहने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भारत की टूटी-फूटी व्यवस्था ने परेशान कर दिया. Reddit पोस्ट में उन्होंने 11 परेशानियों का जिक्र किया, जिनमें खराब सड़कें, असुरक्षित ड्राइविंग, भीषण प्रदूषण, अव्यवस्थित इन्फ्रास्ट्रक्चर और सार्वजनिक जगहों पर खुले में पेशाब जैसे मुद्दे शामिल थे.
उन्होंने 11 वजहें गिनाईं, जिनके चलते भारत में रहना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया. टूटी-फूटी सड़कें, बेतहाशा ट्रैफिक, लगातार वायु प्रदूषण, सार्वजनिक जगहों पर पेशाब, अव्यवस्थित इंफ्रास्ट्रक्चर, चारों तरफ गंदगी और लोगों का असभ्य व्यवहार — ये सब मिलकर उन्हें हर दिन मानसिक थकावट दे रहे हैं.
सोशल मीडिया पर मिली सहानुभूति
उनकी कहानी ने Reddit और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर कई लोगों को छू लिया. एक यूज़र ने लिखा कि मैं भी 2023 में अमेरिका से लौटा था, सब कुछ छोड़कर. हां, ये सब परेशानियां असली हैं, पर समय के साथ ढलना पड़ा.
दूसरे ने कहा कि आपके सारे पॉइंट्स सही हैं. भारत में सिविक सेंस की भारी कमी है. या तो मिडल ईस्ट, यूरोप ट्राय करो या भारत के टॉप टियर शहरों में ढलने की कोशिश करो.
एक और व्यक्ति ने ऑस्ट्रेलिया से भारत आने का अनुभव साझा करते हुए लिखा — “आपने जो लिखा, वो बिल्कुल सच है। मैं भी यही सब महसूस कर रहा हूं।”
विदेशियों के लिए भी चुनौती है भारत
एक ऑस्ट्रेलियाई महिला, जो 2023 में भारत आई थीं, ने हाल ही में बताया कि शुरू में उन्हें समझ नहीं आता था कि भारतीय दोस्त क्यों हैरान होते थे जब वह खुद सारे घर के काम करना चाहती थीं, लेकिन बाद में उन्होंने महसूस किया कि भारत में डोमेस्टिक हेल्प कोई लग्जरी नहीं, बल्कि जरूरत बन चुकी है.