Uttar Pradesh: अयोध्या में निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर को और अधिक भव्य और दिव्य स्वरूप देने की दिशा में नए प्रस्तावों और कार्ययोजनाओं पर मंथन चल रहा है. रविवार को मंदिर भवन निर्माण समिति की बैठक सर्किट हाउस में आयोजित की गई, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णयों और सुझावों पर विचार विमर्श हुआ. बैठक की अध्यक्षता समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्र ने की.
इस बैठक में राम मंदिर के प्रथम तल के दरवाजों को स्वर्ण मंडित करने पर विचार किया गया. मिश्र ने बताया कि मंदिर को भेंट किए गए सोने की मात्रा का आकलन किया जा रहा है. इसी के आधार पर यह तय किया जाएगा कि मंदिर के किन हिस्सों में सोना लगाया जा सकता है. अगर सोने की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध होती है, तो प्रथम तल के दरवाजों को सोने से मढ़ने का कार्य किया जाएगा.
मंदिर को परकोटे से जोड़ने के लिए एक ब्रिज और लिफ्ट निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है. यह ब्रिज और लिफ्ट मंदिर के पश्चिमी दिशा में बनाए जा रहे हैं, ताकि श्रद्धालु परकोटे से सीधे मंदिर तक पहुंच सकें. यह योजना मंदिर परिसर की संरचना को आधुनिक और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है.
अस्थायी राम मंदिर की स्थिति पर भी बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। वर्तमान में अस्थायी मंदिर ऊंचाई पर स्थित है, जिसे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नीचे लाने की योजना पर विचार हो रहा है। साथ ही, अस्थायी मंदिर में लकड़ी की संरचना की मजबूती को लेकर तकनीकी पहलुओं पर भी विचार किया गया है.
नृपेंद्र मिश्र ने यह भी बताया कि भगवान राम जिन तंबुओं में पहले विराजमान थे, उन्हें भी स्मृति स्वरूप संरक्षित रखा जाएगा. ये तंबू ट्रस्ट के पास सुरक्षित हैं और श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ मंदिर परिसर में प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अलावा, 1949 में भगवान राम जिस सिंहासन पर विराजमान थे, वह सिंहासन भी प्राप्त हो गया है और उसे भी मंदिर परिसर में सुरक्षित रखा जाएगा.
मंदिर के शिखर पर दो विशेष प्रकार की लाइटें लगाई जा रही हैं। इनमें एक एविएशन सिग्नल लाइट होगी, जो हवाई जहाजों के लिए संकेत का कार्य करेगी, और दूसरी आकाशीय बिजली से सुरक्षा प्रदान करने वाली अरेस्टर लाइट होगी। मंदिर के शिखर का निर्माण 30 जून तक पूर्ण कर लिया जाएगा, जबकि शिखर पर ध्वज लगाने का कार्य तीन से चार महीने बाद किया जाएगा.
अयोध्या का राम मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और स्थापत्य कला का गौरवशाली प्रतीक भी बन रहा है। लगातार हो रहे इन निर्माण कार्यों और निर्णयों से यह मंदिर आने वाले वर्षों में श्रद्धालुओं और पर्यटकों दोनों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव का केंद्र बनेगा.