बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इससे पहले राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति पर काम करना तेज कर दिया है. पटना में तीसरी बार रविवार को महागठबंधन में शामिल दलों के प्रमुख नेताओं की तीसरी अहम बैठक हुई. तेजस्वी यादव ने कहा है कि 20 मई को मजदूर की हड़ताल का पूरी तरह समर्थन करते हैं. बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए आरजेडी नेता मनोझ झा ने कहा है कि महागठबंधन साथ लड़ेगी और सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने जाति आधारित गणना के निर्णय को समाजवादी नेताओं की बड़ी जीत बताया है.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा?
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘हम लोग 20 मई को मजदूर की हड़ताल का पूरी तरह समर्थन करेंगे. पूरे जिले में इंडिया गठबंधन के लोग मजदूर के साथ सड़क पर उतरेंगे’.
मुकेश सहनी ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए क्या कहा?
मुकेश सहनी ने कहा कि आज की बैठक में पार्टी अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे. चर्चा का मुख्य बिंदु यही था कि जैसे इंडिया गठबंधन पटना में एकजुट दिखता है, वैसी ही एकजुटता जिला, प्रखंड, पंचायत और बूथ स्तर तक भी नज़र आनी चाहिए. सभी नेताओं को यह निर्देश दिया गया है कि बेहतर तालमेल बनाकर जनता के बीच जाएं और उनके मुद्दों को ज़ोर से उठाएं.
बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर है — हर स्तर पर आम आदमी परेशान है. सीओ साहब जैसे अधिकारी ₹25,000 की रिश्वत लिए बिना काम नहीं करते, ये बात जनता को बताइए. बताइए कि आपने कैसी सरकार बनाई है?
हमारा हर नेता, हर कार्यकर्ता नीचे तक जाए, पार्टी को मज़बूत करे. और यह जो जाति आधारित जनगणना का फैसला हाल ही में मोदी सरकार ने लिया है — यह महागठबंधन और समाजवादी आंदोलन की एक बड़ी जीत है.
उन्होंने कहा, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, स्व. रामविलास पासवान, मायावती, शरद यादव — इन सभी ने इसके लिए दशकों तक संघर्ष किया. आज बीजेपी विपक्ष के दबाव में यह कदम उठा रही है. इसलिए हमें जनता के बीच जाना है, मिठाई बांटनी है, जश्न मनाना है और लोगों को बताना है कि यह पहली जीत है — जिसकी नींव आपने डाली, मोदी जी को 303 से 240 पर ला दिया.
मुकेश सहनी ने कहा कि अब हमारी रणनीति यह है कि हम विपक्षी एकता के साथ आगे बढ़ें. 8 तारीख को एक अहम बैठक है. 18 तारीख को बिहार के सभी जिलाध्यक्ष, संगठन प्रभारी और महागठबंधन के नेता मिलकर ब्लॉक और पंचायत स्तर पर समन्वय समितियां बनाएंगे और धरातल पर काम शुरू करेंगे. 20 तारीख को मणिपुर मुद्दे को लेकर हम सड़कों पर उतरेंगे और देशव्यापी हड़ताल में शामिल होंगे.
रिपोर्टर: कुछ बड़े नेता कह रहे हैं कि फैसला किया गया लेकिन सार्वजनिक नहीं किया गया?
मुकेश सहनी ने कहा , जो लोग पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गोद में बैठने गए थे, उनका क्या हश्र हुआ, सबने देखा — पार्टी टूट गई, परिवार बिखर गया, उन्हें घर से बाहर कर दिया गया, पिता की प्रतिमा तक का अपमान हुआ. फिर भी अगर कोई दोबारा वही रास्ता चुन रहा है, तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है. हम रामविलास पासवान जी को अपना अभिभावक मानते हैं, चिराग पासवान को भाई की तरह देखते हैं. पर दुख इस बात का है कि आज वो सामाजिक न्याय, दलित-पिछड़ों के हक़ से दूर हो गए हैं और कोई और सपना देख रहे हैं. हम उनका सम्मान करते हैं, पर आग्रह है कि ऐसी राजनीति न करें जिसमें आंख का ऑपरेशन हो जाए और डॉक्टर कहे कि पट्टी मत खोलो — तो फिर ऑपरेशन का क्या मतलब?
हमारी लड़ाई जाति आधारित जनगणना के साथ-साथ आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की है. जैसे बिहार में अति पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 18 से बढ़ाकर 25% किया गया, उसी तरह देश में भी 50% की सीमा तोड़नी होगी. जो जातियां पीछे हैं, उन्हें उनके हिस्से का हक़ मिलना चाहिए — यही हमारा लक्ष्य है.
यह पहली लड़ाई हमने जीत ली है. आगे और भी कई पड़ाव हैं, जिन्हें हम मिलकर पार करेंगे. 243 सीटों पर महागठबंधन चुनाव लड़ेगा और 243 पर ही जीत दर्ज करेगा. हमारी सरकार बनेगी — इसमें कोई संदेह नहीं है.
RJD नेता मनोझ झा की मीडिया से बातचीत
आरजेडी नेता मनोझ झा ने कहा कि बिहार की जनता को अच्छी तरह पता है कि विधानसभा चुनाव मं क्या होने वाला है. ये कोई रॉकेट साइंस नहीं है. संजोयन समिति का नेतृत्व तय है, तालमेल बेहतर है और हम सब एकजुट हैं.
पत्रकार: लेकिन तालमेल तो साफ दिख नहीं रहा है?
मनोझ झा ने कहा, आप किस विवाद की बात कर रहे हैं? कहीं कोई मतभेद नहीं है. हमारे प्रमुख सहयोगी खुद कह चुके हैं कि सब कुछ स्पष्ट है और किसी भी स्तर पर कोई भ्रम नहीं है. आप बस थोड़ा धैर्य रखें, सही वक्त आने दीजिए — सब साफ हो जाएगा. महत्वपूर्ण बात यह है कि हम समन्वय के जरिए संवाद कर रहे हैं और सबसे अहम यह है कि हमने सरकार को झुकने पर मजबूर किया है. इसके लिए विपक्ष की भूमिका को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
पत्रकार: पर यह समन्वय नहीं दिखता, आज क्या कोई बड़ी बैठक थी?
मनोझ झा ने कहा कि आज एक व्यापक बैठक थी जिसमें सभी कमेटियों के प्रतिनिधि मौजूद थे. हर कमेटी में हमारे साथी शामिल हैं और सब अपने-अपने स्तर पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. आज की बैठक का मकसद था — संवाद को जमीनी स्तर तक, ब्लॉक स्तर तक ले जाना. यह प्रयास सफल रहा. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आपके बिना भी हमारी थाली अधूरी लगती है.
पत्रकार: जाति जनगणना पर क्या रुख है? क्या यह सिर्फ अतीत की बात है?
मनोझ झा ने कहा कि बिलकुल नहीं. जातीय जनगणना एक वर्तमान का मुद्दा है. हम अलर्ट मोड में हैं. सवाल यह है कि आंकड़ों से क्या सामाजिक और आर्थिक योजनाएं बनेंगी? क्या ये सिर्फ ड्रॉइंग रूम में सजाने के लिए हैं या जनता के लिए? हम चाहते हैं कि आरक्षण का दायरा बढ़े, और गरीब परिवारों के लिए योजनाएं बनें. निजी क्षेत्र में भी समान अवसर सुनिश्चित करने होंगे। सरकार को अब संसद और विधानसभाओं में सीटों के आरक्षण पर पुनर्विचार करना पड़ेगा.
पत्रकार: तो आप अतीत की बात क्यों करते हैं?
मनोझ झा ने कहा कि क्योंकि यह वही मुद्दा है जिसे कुछ लोगों ने ‘जहर’ कहा था. अब वही ‘जहर’ हमारे प्रयासों से ‘दवा’ बन चुका है. थोड़ा और इंतजार करिए, सब साफ हो जाएगा. जो बात आप अब सोच रहे हैं, हम पहले से सोच और रणनीति बना चुके हैं.
पत्रकार: फारूक अब्दुल्ला के बयान पर क्या कहेंगे?
मनोझ झा ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला की चिंता देशहित से जुड़ी है. उन्होंने जो कहा, वह सिक्योरिटी एजेंसियों के इनपुट पर आधारित था. मैं सीधी बात करता हूं — इस बैठक की शुरुआत हमने पहलगाम के उन लोगों को श्रद्धांजलि देकर की, जिनकी जानें गईं. हम उन लोगों की तरह नहीं हैं जो शोक के समय में भी रैली करते हैं. पुलवामा हम नहीं भूले हैं. आज तक हम सदन में यह सवाल पूछते हैं कि पुलवामा कैसे हुआ? अगर पुलवामा की सही रिपोर्ट सार्वजनिक होती, तो शायद पहलगाम जैसी घटना टाली जा सकती थी. आज पूरा देश एकजुट है, और सरकार को चाहिए कि वो भी इस मुद्दे पर राजनीति छोड़ कर संवेदनशीलता दिखाए.
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अभी कोई बात नहीं बनी है. साथ ही किस सीट पर कौन पार्टी लड़ेगी इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है.