फिलिस्तीन के समर्थन और इजरायल के विरोध में कैंपस में हुए प्रदर्शनों के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से एक के बाद एक कार्रवाई जारी है. अमेरिकी शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी को रिसर्च और अन्य वित्तीय मदद के रूप में मिलने वाले अरबों डॉलर के फंड्स को रोक दिया है. विभाग ने सोमवार को इस बात की जानकरी यूनिवर्सिटी प्रशासन को दी है.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह रोक तब तक जारी रहेगा जब तक कि हार्वर्ड ट्रंप प्रशासन की मांगों को स्वीकार नहीं कर लेता है. विभाग ने यूनिवर्सिटी से कैंपस में कथित एंटीसेमिटिज्म यानी यहूदी विरोधी गतिविधियों, स्टूडेंट्स रेस पॉलिसी, और संस्थान में अनुदान लेने पर रोक लगाने वाले फैसले के बारे में सफाई मांगी है.
सरकार से वित्तीय मदद नहीं मांगनी चाहिए!
शिक्षा विभाग की सचिव, लिंडा मैकमैहन ने एक चिट्ठी में कहा कि हार्वर्ड को संघीय सरकार से अनुदान नहीं मांगना चाहिए, क्योंकि अब कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा. हार्वर्ड ने इस पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने यह कदम उठाने के लिए कानूनी सीमाओं को ध्यान में रखते हुए नया तरीका अपनाया है.
फिलिस्तीन समर्थकों पर कार्रवाई की मांग!
फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के बाद ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाए थे कि कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियां चल रही हैं. ट्रंप प्रशासन ने कैंपस में ऐसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने और विरोध-प्रदर्शनों पर मास्क बैन लगाने की मांग रखी थी. हालांकि, यूनिवर्सिटी की तरफ से ऐसे आरोपों से इनकार किया गया है. ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन की डिमांड के मुताबिक, कैंपस प्रोटेस्टर्स पर किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे ट्रंप प्रशासन की नाराजगी बढ़ी है.
हार्वर्ड के 9 अरब डॉलर के फंड्स पर की थी समीक्षा!
हार्वर्ड ने ट्रंप प्रशासन की कई मांगों का विरोध किया, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शैक्षणिक स्वतंत्रता पर हमला बताया है. यूनिवर्सिटी ने सरकार के खिलाफ मुकदमा भी दायर कर रखा है और इस बात पर जोर दिया है कि अनुदान में कटौती से मरीजों, छात्रों, शिक्षकों, और शोधकर्ताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे. हार्वर्ड का मुकाबला करने के लिए, ट्रंप प्रशासन ने 9 अरब डॉलर के संघीय वित्त मदद की समीक्षा शुरू की थी. हार्वर्ड ने आरोप लगाया कि ट्रंप प्रशासन की मांगें बहुत ज्यादा हैं और वे यूनिवर्सिटी के नियंत्रण को सरकार के अधीन करने की कोशिश कर रही है.