Madhya Pradesh: सरकार ने लाखों रुपए खर्च करके आयुष्मान आरोग्य मंदिर भवन का निर्माण कराया, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें. सरकार की मंशा थी कि इन भवनों में तैनात स्वास्थ्य कर्मी 24 घंटे मौजूद रहकर ज़रूरतमंदों को समय पर इलाज मुहैया कराएं.
“लेकिन ज़मीनी हकीकत सरकार की मंशा से कोसों दूर है। क्षेत्र में बने इन भवनों में स्वास्थ्य कर्मी या तो समय पर मौजूद नहीं रहते, या फिर महज़ 6 घंटे ही अपनी ड्यूटी निभाते हैं, बाकी समय भवन ताले में बंद रहता है, और कर्मचारी मुख्यालय छोड़कर अपने घरों में आराम फरमा रहे होते हैं.”
“स्थानीय लोगों की मानें तो कई बार इमरजेंसी की स्थिति में भी भवन बंद मिलता है, जिससे उन्हें निजी अस्पतालों या फिर दूर-दराज के सरकारी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है.” बताया जाता हैं डॉक्टर साहब सिर्फ सुबह कुछ देर आते हैं, उसके बाद भवन बंद हो जाता है। कई बार तो दवाई भी नहीं मिलती.”
“सवाल यह उठता है कि जब सरकार इतनी बड़ी राशि खर्च कर सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, तो आखिर स्वास्थ्यकर्मी अपनी ड्यूटी से लापरवाह क्यों हैं? क्या इस पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही?”
अब देखना यह होगा कि जिम्मेदार अधिकारी कब इस ओर ध्यान देते हैं और लोगों को वास्तव में 24 घंटे स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना शुरू होती हैं या नहीं.”
दमोह ऐसा ही ताला मामला रीठी तहसील क्षेत्र के आयुष्मान आरोग्य मंदिर उमरिया का भी सामने आया है जहा सरकार ने लाखों रुपए खर्च करके आयुष्मान आरोग्य मंदिर की बिल्डिंग बनवाई है लेकिन यह सिर्फ शो पीस ही बनकर रह गई है यहां पर स्वास्थ्य कर्मी आते तो हैं लेकिन वह अपनी ड्यूटी सिर्फ 6 घंटे ही देते हैं और बाकी के शेष घंटे अपने घरों में देते हैं कैसे साफ यह प्रतीत होता है कि जो सरकार की मंशा है उसे मंशा पर पदस्थ कर्मचारी पानी फेर रहे हैं.
हलाकि यह सिर्फ आयुष्मान आरोग्य मंदिर उमरिया बस का नहीं है रीठी तहसील क्षेत्र के कई ऐसे आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं जहां पर लाखों की बिल्डिंग बनकर तैयार है लेकिन वहां पद्धति कर्मचारी मुख्यालय में ना रह कर कहीं कटनी तो कोई जबलपुर से आना पसंद करते हैं और ऐसी स्थिति में कार्यालय पहुंचने दोपहर के 12:00 बज जाते हैं ऐसी स्थिति में क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कैसे हो पाएगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
इस मामले की जानकारी खंड चिकित्सा अधिकारी को होने के बाद भी खंड चिकित्सा अधिकारी चुप्पी साधे भगवान की मूर्तियों की तरह बस देख रहे हैं अगर क्षेत्र में कभी अप्रिय घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा.