भारत ने अपना बदला ले लिया .इंडियन आर्मी ने कल पहलगाम के गुनहगारों के ठिकानों को तबाह कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत भारत ने पाकिस्तान के अंदर और PoK में आंतकी सरगना मसूद अजहर समेत 9 आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूत कर दिए. बुधवार की सुबह जब भारतीय सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) ने हमले की ब्रीफिंग की तो देश के हर नागरिक का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, दोनों महिला अधिकारियों ने भारतीय सेना की ताकत और पराक्रम को दुनिया के सामने रखा. कल दिन भर इंडियन आर्मी की ये दो महिलाएं सोशल मीडिया पर छाई रहीं.
गुजरात के वड़ोदरा में उनके पिता भी ये सीन देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने बात की. उन्होंने कहा कि हमें हमारी लड़की पर गर्व है. उसने देश के लिए कुछ किया. ताज मोहम्मद ने बताया कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय उन्होंने भी जंग लड़ी थी. वह कहते हैं अब मन में यही आता है कि हमको अभी मौका दिया जाए तो उनको (पाकिस्तान) जाकर खत्म करें. पाकिस्तान दुनिया के अंदर रहने लायक कंट्री नहीं है..
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#WATCH | Vadodara, Gujarat | Col Sofiya Qureshi briefed the media today on #OperationSindoor. Her father, Taj Mohammed Qureshi, says, "We are very proud. Our daughter has done a great thing for our country… Pakistan should be destroyed… My grandfather, my father, and I were… pic.twitter.com/mJ6AY6dWAT
— ANI (@ANI) May 7, 2025
पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और
कुरैशी ने बताया कि आर्मी में जाना उनके परिवार की परंपरा रही है. उनके पिता और दादा आर्मी में थे. इसके बाद उन्होंने भी सेना की वर्दी पहनी और अब बेटी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है.उनके पिता ताजुद्दीन कुरैशी आगे कहते हैं कि हम सिर्फ देश के बारे में सोचते हैं. हमारी सोच ‘वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम’ की है – हम पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और.
वडोदरा की रहने वाली कर्नल सोफिया ने कभी प्रोफेसर बनने का सपना देखा था, लेकिन देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें सेना की वर्दी पहनने के लिए प्रेरित किया. उनके भाई मोहम्मद संजय कुरैशी ने बताया कि सोफिया पीएचडी पूरी करने ही वाली थीं, तभी उन्होंने भारतीय सेना जॉइन करने का फैसला किया.
परिवार में है देशसेवा की परंपरा
संजय ने कहा कि उनके दादा और पिता दोनों भारतीय सेना में रह चुके हैं, और यही परंपरा सोफिया को भी प्रेरणा देती रही. उन्होंने एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा से बायोकैमिस्ट्री में बीएससी और एमएससी किया था और वहीं असिस्टेंट लेक्चरर के तौर पर पढ़ाना भी शुरू कर दिया था. साथ ही पीएचडी भी कर रही थीं. इस बीच जब वह शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के जरिये सेना में चुनी गईं, तो उन्होंने पढ़ाई और करियर छोड़कर देशसेवा का रास्ता चुना.संजय आगे बताते हैं कि अब अगली पीढ़ी भी प्रेरित है.संजय ने कहा कि उनकी बेटी जारा भी अब अपनी बुआ की तरह सेना में शामिल होने का सपना देख रही है. अब वो भी कहती है, मुझे आर्मी जॉइन करनी है.
ऐसे बनाई पहचान
गुजरात सरकार के अनुसार, कर्नल सोफिया ने 1997 में मास्टर्स किया और सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुईं. 2016 में उन्होंने इतिहास रचते हुए ‘फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य दल की कमान संभाली. ऐसा करने वाली वह पहली महिला अधिकारी बनीं. 2006 में वह संयुक्त राष्ट्र के पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में भी तैनात रह चुकी हैं.