देश के पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बिहार के चर्चित मुख्यमंत्री रहें लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एक और मुकदमा चलाने की अनुमति केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय को मिल गई है . जांच एजेंसी ईडी के द्वारा जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में कोर्ट में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है . इसका मतलब है की आने वाले दिनों में उनकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती है .रेलवे में नौकरी के लिए जमीन के मामले में धन शोधन मामले में राष्ट्रपति ने पूर्व रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 197(1) (बीएनएसएस, 2023 की धारा 218) के तहत अभियोजन की मंजूरी दे दी है.
चारा घोटाले भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर गई थी सदन की सदस्यताआपराधिक चरित्र के जनप्रतिनिधियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था , इस फैसले के मुताबिक- अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में देश की किसी भी अदालत के द्वारा अगर दो साल या दो साल से अधिक की सजा सुनाई गई तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) से रद्द हो जाएगी . इसी कानून के तहत लालू प्रसाद यादव और जेडीयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया था . सदन की सदस्यता गंवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद बन गए थे .
जमीन के बदले नौकरी भ्रष्टाचार मामले में कोर्ट में अब चलेगी सुनवाई इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े जांच भारतीय रेलवे में नौकरी के लिए जमीन घोटाले से संबंधित सीबीआई की एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 2004-2009 की अवधि के दौरान भारतीय रेलवे में ग्रुप डी के स्थानापन्नों की नियुक्ति के लिए भ्रष्टाचार किया था. एफआईआर के अनुसार उम्मीदवारों या उनके परिवार के सदस्यों को भारतीय रेलवे में नौकरी के बदले में रिश्वत के रूप में जमीन हस्तांतरित यानी उनके मुताबिक शख्स को ट्रांसफर करने के लिए कहा गया था. ये जमीन के टुकड़े प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर पंजीकृत थे. सीबीआई ने इस मामले में 3 आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र भी दाखिल किए हैं.