मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की नेतृत्व वाली सरकार कृषकों के अच्छी आमदनी हेतु किसानों को बहु फसली पद्धति को बढ़ावा दे रही है. जिले में कृषि और उद्यान विभाग द्वारा भी धान के बदले अन्य फसल और ग्रीष्मकालीन तिलहन फसल लगाने के लिए कृषिकों को प्रेरित किया जा रहा है.
विभागीय योजनाओं से प्रोत्साहित होकर जिले के कई किसान ग्रीष्मकालीन दलहन तिलहन और मूंगफली की फसल का लाभ ले रहे हैं और अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
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इसी कड़ी में मनोरा विकासखण्ड के ग्राम केसरा निवासी बरजू भगत ग्रीष्मकालीन मूंगफली फसल की खेती अपने 1 एकड़ में किए हैं. जिसके लिये उन्हें कृषि विभाग द्वारा निःशुल्क मूंगफली बीज 40 किग्रा प्रदाय किया गया है. कृषक भगत ने खेत की अच्छी तरह साफ-सफाई कर खेत को तैयार किया गया और अच्छी मात्रा में जैविक खाद भी डाला है. उन्होंने बताया की वर्तमान में उनकी फसल बहुत अच्छी है. फसल में फूल आने लगे हैं. उन्हें उम्मींद है कि फसल से अच्छा उत्पादन भी मिलेगा.
बरजू भगत ने जानकारी देते हुए बताया है कि ग्रीष्मकालीन फसल की खेती से पड़ती का रकबा कम हुआ, अनाज के साथ-साथ तेल की प्राप्ति होगा, मूंगफली के खली व सूखी पत्तियों से पशुओं को अच्छा आहार मिलेगा, मुझे मूंगफली से अच्छी आमदनी होगी क्योंकि अनाज की अपेक्षा तेल की कीमत अधिक होने से अधिक लाभ होगा. खेती के संसाधनों का समुचित उपयोग होगा, भूमि की भौतिक दशा में भी सुधार होगा. प्रति एकड़ अनाज वाली फसलों की अपेक्षा अधिक आमदनी होती है. अनाज की फसल के अपेक्षा तेल से दोगुना शुध्द आमदनी मिलती है, फसलोें में कीट व्याधि का प्रकोप कम होता है. उन्होंने बताया कि तिलहन खेती की प्रेरणा कृषि विभाग से मिला, साथ ही समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं वैज्ञानिको ने जानकारी दी.
कृषक भगत पहले खरीफ में सिर्फ धान की फसल लेता था. रबी व ग्रीष्म ऋतु में खेत पड़ती रहती थी. पहले उनके पास सिंचाई साधन नहीं था. पिछले वर्ष सौर सुजला योजना अंतर्गत 3 हार्सपावर का सिचाई पंप लेकर खरीफ में धान की फसल करता था. इसके बाद बाकि समय खेत पड़ती रहता था. जिससे सिर्फ एक फसल व सिर्फ धान की खेती से अनाज की प्राप्ति होती थी. इस वर्ष कृषि विभाग के अधिकारियों के मार्गर्शन में ग्रीष्मकालीन खेती कर रहे हैं. जिससे दोगुनी आमदनी होनी की संभावना है.