भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद शुरू हुआ तनाव चरम पर पहुंचा और दोनों ओर से जमकर ड्रोन और मिसाइल अटैक हुए. लेकिन Indo-PAK War Tension के बावजूद भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी निवेशकों का भरोसा कायम रहा. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि एफपीआई के निवेश (FPI Inflow) के आंकड़े खुद गवाही दे रहे हैं. जी हां, मई महीने में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इंडियन इक्विटी में 14,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है.
लगातार दूसरे महीने FPI का निवेश
ये लगातार दूसरा ऐसा महीना है, जबकि विदेशी निवेशकों की वापसी हुई है और उनके द्वारा शेयर बाजार में भारी-भरकम निवेश किया गया है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों को देखें तो मई महीने में अब तक यानी 11 दिनों में एफपीआई ने 14,167 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया है. सबसे खास बात ये है कि विदेशी निवेशकों ने ये निवेश ऐसे समय में किया है, जबकि भारत और पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए थे.
अप्रैल में भी लगाई थी इतनी रकम
बता दें कि विदेशी निवेशकों की वापसी साल 2025 के शुरुआती 3 महीनों के बाद देखने को मिली थी. इससे पहले अप्रैल महीने में FPI की ओर से शेयर बाजार में 4,223 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था और ये मई महीने की शुरुआत में भी देखने को मिला है. हालांकि, इस महीने बीते 9 मई को सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन 3,798 करोड़ रुपये की बिकवाली भी देखने को मिली थी.
जनवरी से मार्च तक तगड़ी निकासी
इससे पहले साल के पहले महीने की बात करें, तो एफपीआई ने जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की बड़ी बिकवाली की थी और इसका असर शेयर बाजार में गिरावट के रूप में भी देखने को मिला था. इसके अगले महीने भी ये सिलसिला जारी रहा और एफपीआई ने फरवरी में भी 34,574 करोड़ रुपये निकाले. इसके बाद मार्च महीने में निकासी की रफ्तार धीमी पड़ी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली का आंकड़ा 3,973 करोड़ रुपये रहा.
आखिर क्या है टेंशन में भी निवेश के पीछे वजह?
यहां बड़ा सवाल ये है कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा था, तो ऐसे में भी आखिर क्यों विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में निवेश कर रहे थे. तो पीटीआई की रिपोर्ट में एनालिस्ट्स के हवाले से कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर की कमजोरी (US Dollar Fall), अमेरिकी और चीनी अर्थव्यवस्था की सुस्ती (US-China Economy Growth Fall), भारत की तेज GDP ग्रोथ और घटती महंगाई व पॉलिसी रेट ने भारतीय बाजार को आकर्षक बनाने में अहम रोल निभाया है.
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार के मुताबिक, ग्लोबल और डोमेस्टिक दोनों स्तर पर अनुकूल माहौल से एफपीआई निवेश में और तेजी आ सकती है, लेकिन डेट सेगमेंट में निवेश कमजोर रह सकता है.