जब देश संकट में हो तो सुप्रीम कोर्ट तटस्थ नहीं रह सकता” — CJI पद के लिए नामित जस्टिस बीआर गवई का बयान

देश के अगले प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice Of India) भूषण रामकृष्ण गवई ने रविवार को कहा कि वह पहलगाम आतंकी हमले के बारे में सुनकर स्तब्ध थे. उन्होंने इस वीभत्स घटना पर शीर्ष अदालत की ओर से बयान जारी करने के एक बैठक भी बुलाई. इस दौरान मनोनीत सीजेआई ने कहा कि जब देश संकट में हो तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता. हम भी देश का हिस्सा हैं.

मनोनीत सीजेआई बीआर गवई ने अपने आवास पर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में यह बात कही है. इस दौरान उन्होंने संसद और न्यायालय में कौन सर्वोच्च है इस पर भी अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि संविधान सर्वोच्च है. केशवानंद भारती मामले में 13 जजों की पीठ ने भी यही कहा है. जस्टिस बीआर गवई 14 मई को देश के मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे. वह इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध हैं.

सेवानिवृत्ति के बाद नहीं लूंगा कोई पद- जस्टिस गवई

जस्टिस गवई से जब पत्रकारों ने सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल जैसे राजनीतिक पद स्वीकार करने पर सवाल किया. इस पर उन्होंने कहा, ‘मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लूंगा.’ उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश के लिए राज्यपाल का पद प्रोटोकॉल के हिसाब से सीजेआई के पद से नीचे होता है.

इस दौरान जस्टिस गवई ने संविधान को सर्वोच्च बताकर इस बहस पर विराम लगा दिया कि संसद या न्यायपालिका में से कौन श्रेष्ठ है. राजनीतिक नेताओं और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस बयान के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कि संसद सर्वोच्च है, उन्होंने कहा, ‘संविधान सर्वोच्च है. केशवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की पीठ ने भी यही कहा है.’

हम भी देश का हिस्सा हैं- मनोनीत सीजेआई गवई

बीआर गवई ने कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में सुनकर स्तब्ध थे. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश भी देश के नागरिक हैं और पहलगाम में हुई वीभत्स घटना के बारे में जानने के बाद उन्होंने सीजेआई से परामर्श किया और मौतों पर शोक व्यक्त करने के लिए शीर्ष अदालत की ओर से बयान जारी करने का निर्णय लेने के वास्ते पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई.

उन्होंने कहा, ‘आखिरकार, हम भी देश का हिस्सा हैं और ऐसी घटनाओं से प्रभावित होते हैं. हम भी नागरिक के तौर पर चिंतित हैं. जब पूरा देश शोक मना रहा है, तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता.’ जस्टिसने कहा कि युद्ध निरर्थक है. उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे कोई ठोस लाभ नहीं होने वाला.

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