हरियाणा रोडवेज के एक कंडक्टर को 110 रुपये के धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 साल बाद बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने कंडक्टर के खिलाफ अनुशानिक और अपीलीय प्राधिकरण के ऑर्डर को रद्द कर दिया. साथ ही अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते आदेश दिया कि कंडक्टर की जो भी सैलरी और अन्य भत्ते रोके गए वो उसे तीन माह में दिए जाएं.
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दरअसल, कडंक्टर की हरियाणा रोजवेज में नियुक्ति साल 1981 में हुई थी. घटना के समय वो हरियाणा रोडवेज की उस बस में कंडक्टर था, जो हरियाणा से दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में चल रही थी. निरिक्षकों ने कडंक्टर को पांच भिन्न मामलों में धोखाधड़ी करते पाया था. पहली बार कंडक्टर पर धोखाधड़ी के आरोप साल 2006 में लगे. इसके बाद चार और धोखाधड़ी के आरोप कंडक्टर पर लगे.
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