इंजेक्शन लगाने के बाद 7 साल की मासूम की मौत, रतलाम में डॉक्टर क्लीनिक छोड़ भागा

रतलाम के रावटी में एक प्राइवेट क्लीनिक पर डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाने के 2 घंटे बाद 7 साल की मालूम की मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद डॉक्टर क्लीनिक से भाग गया। सूचना मिलते ही परिजन व पुलिस, प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। क्लीनिक पर डॉक्टर की किसी भी प्रकार की डिग्री और संचालन के डॉक्यूमेंट अफसरों को नहीं मिले।

Advertisement

मृत बच्ची का नाम अरुणा (6) पिता नाथुलाल भाभर निवासी नायन (गुंदीपाड़ा) रावटी है। अरुणा को बुखार आने पर पिता उसे लेकर मंगलवार सुबह 10 बजे रावटी के पंचायत चौराहे पर स्थित एक प्राइवेट क्लीनिक पर लेकर आए। यहां इलाज कर रहे अजय चौहान नामक व्यक्ति ने बच्ची को इंजेक्शन लगाया। इसके बाद परिजन बच्ची को लेकर रावटी बाजार गए। इस दौरान उसे उल्टी होने पर वापस क्लीनिक पर लेकर पहुंचे। दोपहर 1 बजे के करीब बच्ची की क्लीनिक पर मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद संबंधित इलाजकर्ता मौके से फरार हो गया। पुलिस, स्वास्थ्य व राजस्व विभाग को इस बारे में सूचना मिली तो अधिकारी वहां पहुंचे। बच्ची के शव को पीएम के लिए रतलाम मेडिकल कॉलेज भेजा।

तहसीलदार वंदना किराड़े, मेडिकल ऑफिसर दीपक मेहता व पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। क्लीनिक की जांच की। इलाज से संबंधित व क्लीनिक संचालन के कोई दस्तावेज नहीं मिले। भारी मात्रा में दवाईयां व खाली इंजेक्शन को जब्ती में लिया। मौके पर पंचनामा बनाकर क्लीनिक को सील कर दिया। बच्ची की मौत पर रावटी पुलिस थाना ने मर्ग कायम कर मामला जांच में लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी पुलिस को आवेदन दिया।

10 से 12 साल से चला रहा क्लीनिक

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो इलाजकर्ता के पास होम्योपैथिक डिग्री है। लेकिन वह एलौपैथिक इलाज कर रहा था। जो कि मान्य नहीं है। इंजेक्शन लगाने से लेकर बॉटल चढ़ाने का काम भी क्लीनिक पर किया जाता था। यहां जो जानकारी सामने आई है उसमें इलाजकर्ता डॉक्टर 10 से 12 साल से किराए पर जगह लेकर क्लीनिक रावटी में चला रहा था। यह भी जानकारी सामने आई है कि अजय चौहान रतलाम के किसी होम्योपैथिक कॉलेज में टीचर भी है। लेकिन प्राइवेट प्रैक्टिस के चलते यह क्लीनिक खोलकर आदिवासी क्षेत्र में बैठा था।

स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी

 

इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी भी सामने आई है। रावटी क्षेत्र में ऐसे 50 से अधिक अवैध रूप से क्लीनिक संचालित होते है। स्वास्थ्य विभाग को इस बारे में मालूम होते हुए भी कुछ नहीं करता। बताया जा रहा है कि पिछले माह क्षेत्र में चल रहे अवैध क्लीनिकों को लेटर भी स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया था। सभी से उनकी डिग्री व संचालन की अनुमति मांगी थी। जिस क्लीनिक पर बच्ची की मौत हुई है उसे भी 27 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने लेटर जारी कर जानकारी मांगी थी। लेकिन कोई जानकारी आज तक नहीं मिली। अगर समय पर स्वास्थ्य विभाग जाग जाता तो आज मासूम बच्ची की जान बच सकती थी।

पीएम रिपोर्ट से चलेगा पता-मेडिकल ऑफिसर

रावटी स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. दीपक मेहता ने बताया कि इंजेक्शन के दो घंटे बाद बच्ची की क्लीनिक पर मौत हुई है। बच्ची को बुखार आ रहा था। क्लीनिक को सील कर दिया है। पीएम रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा कि आखिर क्या हुआ है। संबंधित प्राइवेट क्लीनिक संचालक को 27 मार्च को लेटर जारी कर जानकारी मांगी गई थी।

Advertisements