MP High Court ने मंत्री विजय शाह के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर की ड्राफ्टिंग पर जताई नाराजगी

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी कर्नल सोफिया कुरैशी के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणी करने के आरोपित मंत्री विजय शाह के विरुद्ध महू के मानपुर थाने में दर्ज एफआईआर की ड्राफ्टिंग पर असंतोष जताया।

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इसी के साथ राज्य शासन को नए सिरे से सुधार के निर्देश दे दिए। साथ ही शुक्रवार को फिर से सुनवाई निर्धारित कर दी। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि इस मामले की हाई कोर्ट मॉनीटरिंग करेगा।

तुरंत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे

उल्लेखनीय है कि बुधवार को हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्यमंत्री विजय शाह के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत अविलंब एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।

साथ ही चेतावनी दी थी कि ऐसा न होने पर गुरुवार सुबह डीजीपी के विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई होगी। कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय को निर्देश दिए थे कि आदेश का पालन सुनिश्चित करने इसकी प्रति अविलंब डीजीपी को भेजें। कोर्ट ने रजिस्ट्रार (आईटी) से यह अपेक्षा की है कि उपलब्ध लिंक के अलावा विजय शाह द्वारा दिए गए अपमानजनक भाषण के वीडियो से संबंधित सभी लिंक एकत्र करें।

महाधिवक्ता ने कहा- कोर्ट के आदेश का अक्षरश: पालन सुनिश्चित किया

गुरुवार को मामले की सुनवाई प्रारंभ हुई। इस दौरान राज्य की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने अवगत कराया कि हाई कोर्ट के आदेश का त्वरित पालन करते हुए बुधवार को ही रात आठ बजे महू के मानपुर थाने में तीनों निर्देशित धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करा दी गई है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) लगाई गई हैं, जिनमें आजीवन कारावास, पांच वर्ष व तीन वर्ष की सजाओं का प्रविधान है।

 

सिर्फ कोर्ट ऑर्डर की भाषा का उल्लेख किया, आरोपित के कृत्य का नहीं, यह आपत्तिजनक

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एफआईआर की प्रति का अवलोकन करने के साथ ही नाराजगी जताते हुए कहा कि इसमें महज कोर्ट के आदेश की भाषा का उल्लेख कर दिया गया है। नियमानुसार मंत्री शाह के कृत्य को सविस्तार तथ्यात्मक रूप से रेखांकित ही नहीं किया गया।

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