हक की राह में खाट का सफर: आज़ादी के 75 साल बाद भी इस गांव तक नहीं पहुँची सड़क

माउगंज : भारत भले ही चांद पर पहुंच गया हो, लेकिन देश के कई गांव आज भी बुनियादी ज़रूरतों के लिए जूझ रहे हैं. हाल ही में एक दर्दनाक मामला सामने आया, जहां एक गर्भवती महिला को सड़क न होने के कारण खाट पर लिटाकर कई किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया गया.

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यह घटना उस गांव की है जो आज़ादी के 75 साल बाद भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है। गांव में न तो पक्की सड़क है, न परिवहन की कोई व्यवस्था.ऐसे में जब महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो गांव वालों ने खाट को ही एंबुलेंस बना लिया। जंगलों और उबड़-खाबड़ रास्तों से उसे लगभग 5 किलोमीटर पैदल मुख्य सड़क तक पहुँचाया गया.वहाँ से किसी तरह वाहन की व्यवस्था कर अस्पताल पहुँचाया गया.

 

सरकार की ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’, ‘जननी सुरक्षा योजना’ और ‘स्वास्थ्य सबके लिए’ जैसे तमाम दावों के बावजूद ज़मीनी सच्चाई यही है कि सैकड़ों गांव अब भी विकास से कोसों दूर हैं.यह घटना सिर्फ एक महिला की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता को उजागर करती है.

सवाल यही है की जब सड़क ही नहीं, तो स्वास्थ्य सेवाएं कैसे पहुँचेंगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि अब वक़्त आ गया है जब ‘विकास’ सिर्फ शहरी आंकड़ों में नहीं, बल्कि गांव की धूल-भरी गलियों में भी नज़र आए. हर गांव को पक्की सड़क से जोड़ना, अंतिम छोर तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुँचाना और स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह बनाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है.

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