‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को बिलासपुर विश्वविद्यालय का समर्थन, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू बोले- विकास के लिए जरूरी, होगी 12,000 करोड़ की बचत

अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर में एक राष्ट्र, एक चुनाव के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया गया। विश्वविद्यालय में केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास राज्य मंत्री तोखन साहू के मुख्य आतिथ्य में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने की।

Advertisement

कुलपति एडीएन वाजपेयी ने प्रस्ताव की प्रति केंद्रीय राज्य मंत्री को सौंपी। यह प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाई जाएगी। कार्यक्रम में बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह और बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

एक साथ चुनाव भारत के निर्माण के लिए क्रांतिकारी कदम

केंद्रीय राज्य मंत्री साहू ने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव विकसित भारत के निर्माण के लिए क्रांतिकारी कदम है। इससे प्रशासन में स्थिरता आएगी और विकास कार्यों के लिए अधिक समय मिलेगा। उन्होंने बताया कि इसे लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन करने होंगे।

साहू ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर भी एक राष्ट्र एक चुनाव को जरूरी मानते थे। पंडित नेहरू के शासनकाल में भी एक साथ चुनाव हुए थे। उन्होंने बताया कि बार-बार चुनाव कराने में लगभग 12000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। एक साथ चुनाव होने से यह धन बचेगा और जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी।

कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बधाई प्रस्ताव भी पारित किया गया।

छग में 80 दिन के चुनाव 40 दिन में हुए: साव

राज्य के उप मुख्यमंत्री साव ने कहा कि राष्ट्र की तरक्की और मजबूती के लिए संपूर्ण राष्ट्र में एक साथ चुनाव बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में इसकी शुरुआत हो चुकी है। अभी हाल ही में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव एक साथ हुए। आमतौर पर 80 दिन में पूरे होने वाले ये चुनाव एक साथ कराने के कारण इस बार केवल 40 दिन में पूर्ण हो गए। दोनों चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए, कहीं कोई दिक्कत नहीं आई।

1951 से 1967 तक हो चुके एक साथ चुनाव

चुनाव आयोग की सराहना करते हुए साव ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती और जागरूकता के लिए आयोग ने कई अहम काम किए हैं, इसीलिए एक चाय बनाने वाले व्यक्ति का पीएम बनना संभव हुआ। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय स्तर पर एक राष्ट्र एक चुनाव पर व्यापक चर्चा हो रही है और अधिकांश लोग इसके पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि 1951 से लेकर 1967 तक देश में एक साथ चुनाव संपन्न हुआ।

Advertisements