तीन साल बाद रूस और यूक्रेन के बीच इस्तांबुल, तुर्की में पहली बार आमने-सामने शांति वार्ता हुई. रूस और यूक्रेन के बीच मास्को की 2022 में शुरू हुई सैन्य कार्रवाई के बाद हुई यह पहली सीधी शांति वार्ता महज दो घंटे से भी कम समय में अचानक समाप्त हो गई, जिसमें 1,000-1,000 युद्धबंदियों की अदला-बदली पर सहमति तो बनी, लेकिन युद्धविराम की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी.
यह बातचीत यूरोप के द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे घातक संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमेरिकी दबाव के बीच हुई. एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, दोनों पक्षों ने युद्धबंदियों की इस बड़ी अदला-बदली को एक सकारात्मक कदम बताया, लेकिन पूर्वी यूरोप को तीन साल से अधिक समय से जकड़े इस संघर्ष को रोकने के लिए आवश्यक मूलभूत शर्तों पर दोनों पक्षों के बीच गहरी असहमति बनी हुई है.
यूक्रेन की मांग
यूक्रेनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हियोरही टिखी ने कहा, “हमने अब तक रूस की ओर से सीजफायर के बुनियादी मुद्दे पर ‘हां’ नहीं सुनी है. अगर आप गंभीर बातचीत करना चाहते हैं, तो सबसे पहले हथियारों को खामोश करना होगा.”
वहीं दूसरी ओर, रूसी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख व्लादिमीर मेदिंस्की, जो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सलाहकार हैं, ने अपेक्षाकृत आशावादी रुख अपनाया. उन्होंने कहा, “हम बातचीत के परिणाम से संतुष्ट हैं,” और यह भी जोड़ा कि मॉस्को आगे भी संवाद जारी रखने के लिए तैयार है. उन्होंने कीव के साथ विस्तृत युद्धविराम प्रस्तावों का आदान-प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की है.
तुर्की के विदेश मंत्री का बयान
तुर्की के शानदार डोल्माबाहचे पैलेस में हुई इस बैठक की शुरुआत तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने की. उन्होंने दोनों पक्षों से युद्धविराम की अपील की और कहा कि इस्तांबुल की यह वार्ता दोनों देशों के नेताओं की संभावित बैठक की नींव बन सकती है.
फिदान ने कहा, “हमारे सामने दो रास्ते हैं- एक शांति की ओर और दूसरा और अधिक विनाश की ओर. दोनों पक्षों को तय करना है कि वे कौन-सा रास्ता चुनते हैं.” यह बैठक ऐसे समय हुई जब यूक्रेन ने पुतिन को सीधी बातचीत का निमंत्रण दिया था, लेकिन रूस की ओर से सिर्फ मध्यम स्तर के अधिकारियों की टीम भेजी गई. जवाब में यूक्रेन ने भी उसी स्तर के वार्ताकार भेजे.
यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल की ओर से बातचीत की शर्तों में शामिल हैं- 30 दिन का युद्धविराम, जबरन उठाए गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी और सभी युद्धबंदियों की अदला-बदली. रूस ने वार्ता की इच्छा जताई है लेकिन साथ ही यह चिंता भी जाहिर की है कि यूक्रेन इस मौके का इस्तेमाल अपने सैनिकों को पुनर्गठित करने और पश्चिमी हथियार जुटाने में कर सकता है.
पुतिन की अनुपस्थिति
यह पुतिन ही थे जिन्होंने तुर्की में प्रत्यक्ष वार्ता का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के वहां व्यक्तिगत रूप से मिलने की चुनौती को ठुकरा दिया और इसके बजाय मध्यम स्तर के अधिकारियों की एक टीम भेजी. यूक्रेन ने जवाब में समान रैंक के वार्ताकारों को नामित किया.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और ट्रम्प के यूक्रेन दूत कीथ केलॉग भी इस्तांबुल में थे, जहां शुक्रवार को पहले कई अलग-अलग कूटनीतिक संपर्क हुए. रुबियो ने गुरुवार रात मीडिया से बात करते हुए कहा कि वार्ता टीमों के स्तर के आधार पर, कोई बड़ी सफलता संभावना नहीं है.
क्या हैं दोनों देशों की शर्तें
इस बीच, रूस ने पूर्वी यूक्रेन में एक और गांव पर कब्जे का दावा किया और इस्तांबुल बैठक से कुछ मिनट पहले यूक्रेनी शहर ड्नीप्रो में धमाकों की खबर आई.रूस की मांग है कि यूक्रेन नाटो सदस्यता की मंशा छोड़ दे और खुद को एक ‘तटस्थ देश’ घोषित करे. लेकिन यूक्रेन ने इसे आत्मसमर्पण जैसा बताया है और अमेरिकी नेतृत्व में भविष्य की सुरक्षा की गारंटी की मांग की है.
यूक्रेन की सेना का दावा है कि रूस ने अब तक करीब 6.4 लाख सैनिक यूक्रेन में तैनात कर दिए हैं और यह युद्ध अब थकावट की नीति में बदल चुका है. दो वर्षों में लाखों सैनिक हताहत हो चुके हैं और लाखों नागरिकों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं.