मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चल रहे कार्यों में मशीनों के व्यापक उपयोग की खबरें सामने आ रही हैं. स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि, जेसीबी और अन्य भारी मशीनों के इस्तेमाल से जरूरतमंद मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण वे पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं, जिले के कई पंचायतों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि तालाब निर्माण, सड़क निर्माण, कुआँ खुदाई, मेड़ बंधान, सुदूर सड़क और मिट्टी के अन्य कार्यों में मजदूरों की जगह मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
मजदूरों ने बताया कि उन्हें काम मांगने पर यह कहकर लौटा दिया जाता है कि अब मशीनों से काम हो रहा है. इससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. “मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना है, लेकिन पन्ना जिले में इसका ठीक उल्टा हो रहा है. बिसानी सहित कई पंचायतों में खुलेआम मशीनों का उपयोग हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.” यदि यही हाल रहा तो मनरेगा का मूल उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा और गरीब परिवारों के सामने जीवन यापन का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा. मजदूरों के पलायन की समस्या भी अब खुलकर सामने आने लगी है. रोजगार न मिलने के कारण कई मजदूर परिवार दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जाने को मजबूर हो रहे हैं. इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि गांवों में विकास की गति भी धीमी पड़ सकती है.
हालांकि, इस पूरे मामले पर अतिरिक्त सीईओ ने जांच उपरांत कार्यवाही की बात कही है.