डेलिगेशन पर दंगल, PAK को बेनकाब करने वाली टीम में शशि थरूर का नाम, कांग्रेस में शुरू हुई खींचतान

दुनिया सिर्फ गोली की नहीं, कूटनीति की भाषा भी सुनती है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान की सेना को ऐसी चोट दी जा चुकी है जिसे सुनकर उसकी आनेवाली कई नस्लों की भी रूह कांप जाएगी, लेकिन बात अब आगे बढ़ चुकी है. भारत ने ठान लिया है कि पाकिस्तान के झूठ और आतंक की फैक्ट्री का दरवाजा दुनिया के मंचों पर खोला जाएगा. इसी के तहत ‘ऑपरेशन डिप्लोमैटिक’ वॉर शुरू हो चुका है.

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इस मिशन की कमान उन 7 सांसदों के हाथों में थमाई गई है जो दुनिया को बताएंगे कि कैसे पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा गढ़ है और आतंकवाद पर शहबाज की सरकार कैसे दुनिया की आंखों में धूल झोंक रही है और कैसे सीमा पार आतंकवाद ने भारत के अमन-चैन को लूटा है, इसमें कोई शक नहीं कि जिन 7 सांसदों के हाथ में 7 डेलिगेशन की कमान है वो अपने मिशन में जरूर कामयाब होंगे, लेकिन सवाल ये है कि जब देश एकजुट होकर आतंक के खिलाफ वैश्विक मंच पर मोर्चा खोल रहा है तो कांग्रेस इस प्रतिनिधिमंडल पर सवाल क्यों उठा रही है? क्या थरूर का नाम पार्टी लाइन से बाहर है या फिर देशहित से बड़ा दलहित हो गया है.

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के पाप का घड़ा फूट गया. उसकी सरपस्ती में रह रहे आतंकियों के ठिकाने नेतस्नाबूद हो गए. पाकिस्तान की शेखी बघारने वाली सेना को जगह-जगह मार पड़ी. एयरबेस तक तबाह हो गए. न्यूक्लियर हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान के हुक्मरान को दिन में ही भारत ने तारे दिखाए, लेकिन इतना ही काफी नहीं है. अब पाकिस्तान को सबक सिखाने की दूसरी किस्त शुरू हो चुकी है. इस बार मैदान कूटनीति का है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करन के लिए पूरी रणनीति बना ली है. मोदी सरकार ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख बताने के लिए सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन बनाए हैं. ये डेलिगेशन दुनिया के बड़े देशों, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC के सदस्य देशों का दौरा करेगा.

ये सांसद हैं डेलिगेशन में शामिल

संसदीय कार्य मंत्रालय ने इस डेलिगेशन को लीड करने वाले 7 सांसदों की लिस्ट जारी की. जिसमें कांग्रेस के शशि थरूर से लेकर बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय झा, DMK के कनिमोई, NCP (एसपी) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे शामिल हैं.

डेलिगेशन की लिस्ट पर खींचतान

केंद्र सरकार की ओर से विदेश जाने वाले डेलिगेशन की लिस्ट सामने आते ही इस पर विवाद शुरू हो गया. कांग्रेस ने इस लिस्ट पर सवाल उठा दिया है. शुक्रवार सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी. उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले डेलिगेशन के लिए 4 सांसदों का नाम मांगा था. कांग्रेस ने चार नाम- आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार​​ के दिए थे.

शशि थरूर ने जताया केंद्र का आभार

कांग्रेस भले ही गुस्से से लाल-पीली है, लेकिन केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने केंद्र का आभार जताया है. थरूर ने कहा कि मैं हाल की घटनाओं पर हमारे देश का दृष्टिकोण रखने के लिए पांच प्रमुख देशों की राजधानियों में एक सर्वदलीय डेलिगेशन का नेतृत्व करने के लिए भारत सरकार के निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं. जब राष्ट्रीय हित की बात होगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी, तो मैं पीछे नहीं रहूंगा. चाहे भारत-पाकिस्तान तनाव हो या ऑपरेशन सिंदूर, शशि थरूर ने मोदी सरकार की हमेशा तारीफ की है. थरूर के इन कदमों को कांग्रेस ने ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघने जैसा बताया तो थरूर ने इस पर कटाक्ष करते हुए जवाब दिया था. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस में थरूर को लेकर अंदरूनी खींचतान है? क्या थरूर की सरकार की तारीफ कांग्रेस को खल रही है? और सबसे अहम क्या राष्ट्रीय मिशन पर भी राजनीति होना चाहिए?

बीजेपी ने कसा तंज

कांग्रेस में इस सिर-फुटौव्वल पर बीजेपी तंज कस कर रही है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शशि थरूर का जिक्र कर सोशल मीडिया पर लिखा कि शशि थरूर की वाकपटुता, संयुक्त राष्ट्र में उनके लंबे अनुभव और विदेश नीति पर उनकी गहरी समझ को कोई नकार नहीं सकता है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी और खासकर राहुल गांधी ने उनका नाम सर्वदलीय डेलिगेशन में शामिल क्यों नहीं किया? क्या ये असुरक्षा है? ईर्ष्या है? या फिर ‘हाईकमान’ से बेहतर दिखने वाले किसी व्यक्ति के प्रति असहिष्णुता है?

सभी दलों ने किया सरकार की पहल का स्वागत

उधर, लिस्ट पर जारी सियासत के बीच सभी दल सरकार की इस पहल का स्वागत कर रहे हैं. तमाम दलों का मानना है कि सरकार के इस कदम से भारत का पक्ष दुनिया के सामने आएगा. और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान बेनकाब होगा. आतंकवाद के खिलाफ पीएम मोदी ने दुनिया को भारत की नीति साफ कर दिया है. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को न्यू नॉर्मल बताया है. यानी जब-जब आतंकवादी फन उठाएंगे तब-तब सरहद पार जाकर उसे कुचला जाएगा. देश की सियासत करने वाले नेताओं और पार्टियों को समझना चाहिए कि हमारे जवान मारे जाते हैं, हमारी सरहदें लहूलुहान होती हैं और हम बहस कर रहे हैं कि उनकी पसंद के लोग डेलिगेशन का हिस्सा क्यों नहीं हैं.

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