मुंबई में विशेष एनआईए अदालत ने पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों अब्दुल्ला फैयाज शेख उर्फ डायपरवाला और तल्हा खान को 27 मई तक एनआईए हिरासत में भेज दिया. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने प्रतिबंधित आईएसआईएस आतंकी संगठन के स्लीपर मॉड्यूल के सदस्यों के रूप में पहचाने गए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
अब्दुल्ला फैयाज शेख उर्फ डायपरवाला और तल्हा खान को मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उस समय रोका गया था, जब वे जकार्ता से भारत लौट रहे थे. इसके बाद एनआईए की टीम ने उन्हें 16 मई को हिरासत में ले लिया. दोनों आरोपी पिछले दो साल से फरार थे. उनके खिलाफ मुंबई में एनआईए की विशेष अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट भी जारी किए गए थे.
एनआईए ने दोनों आरोपियों की जानकारी के लिए 3-3 लाख रुपए का इनाम रखा था. इस मामले में पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल के आठ सदस्य पहले से ही गिरफ्तार हो चुके हैं. उनको न्यायिक हिरासत में रखा गया है. इन पर भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने के आईएसआईएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का आरोप है.
पहले से ही गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों के साथ चार्जशीट किए गए ये दोनों लोग पुणे के कोंढवा में अब्दुल्ला फैयाज शेख द्वारा किराए पर लिए गए घर से आईईडी को एकत्र करने में लगे हुए थे. साल 2022-2023 की अवधि के दौरान उन्होंने आईईडी का परीक्षण करने के लिए एक नियंत्रित विस्फोट करने के अलावा ट्रेनिंग में भी हिस्सा लिया था.
इससे पहले इसी केस में एनआईए ने सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. इन आरोपियों की पहचान मोहम्मद इमरान, मोहम्मद याकूब साकी, अब्दुल कदीर, नसीरुद्दीन काजी, जुल्फिकार अली, शमील साकिब नाचन और आकिफ अतीक नाचन के रूप में हुई थी. इनमें से दो आरोपी मध्य प्रदेश और पांच महाराष्ट्र के रहने वाले हैं.
इन के खिलाफ आरोप है कि ये इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के लिए आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के इरादे से फंड इकट्ठा करते थे. एनआईए की चार्जशीट में कहा गया कि आरोपियों ने आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए थे. कई वांछित आतंकवादियों को शरण दी थी. आईईडी बनाने के लिए जरूरी सामान एकत्र कर रखा था.
इन्होंने लोगों में आतंक की दहशत पैदा करने और धमकी देने के इरादे से आईएसआईएस की आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की साजिश रची थी. ये सभी भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा हैं. एनआईए के एक अधिकारी ने कहा था, “हमारी जांच में इन लोगों के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का पता चला है. ये आईएसआईएस के संपर्क में थे.”
इतना ही नहीं ये लोग उनके इशारे पर भारत के भीतर आईएसआईएस की चरमपंथी विचारधारा को प्रचारित करने के लिए एक नेटवर्क बना चुके थे. इनका इरादा हिंदुस्तान की धरती पर आतंकवादी वारदातों को अंजाम देना था. इन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना सहित कई राज्यों में सर्च ऑपरेशन किया था.
इतना ही नहीं इन आरोपियों ने आतंकी वारदातों की साजिश को अंजाम देने के लिए उचित जगहों को चिह्नित किया था. इसके बाद पुलिस से बचने के लिए इंतजाम भी किए थे. इसके तहत दूरदराज इलाकों और जंगलों में संभावित ठिकानों के रूप में पहचान की गई थी. इसके लिए भारत और विदेश दोनों ही स्रोतों से धन इकट्ठा किए गए थे.