माचिस जलाकर डराया, इतना पीटा कि सहम गया मासूम… मौलवी ने मदरसा नहीं आने की दी सजा

कटिहार जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है. हसनगंज थाना क्षेत्र के जगन्नाथपुर पंचायत स्थित मदरसा रहमत-ए-आलम में पढ़ने वाले 12 साल के छात्र कौशर आलम के साथ क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं. परिजन मोहम्मद अताउर और मोहम्मद गफ्फार का आरोप है कि मदरसे के हेड मौलवी परवेज आलम ने कौशर को सिर्फ इस वजह से बेरहमी से पीटा क्योंकि वह कुछ दिनों तक मदरसे नहीं आया था

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बताया गया है कि मौलवी ने पहले बच्चे की बुरी तरह पीटा फिर उसके मुंह में जलती हुई माचिस की तीली डाल दी. इस अमानवीय कृत्य के चलते कौशर गंभीर रूप से घायल हो गया है और उसकी आवाज तक बंद हो गई है. घायल बच्चे को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसका इलाज जारी है. पीड़ित परिजनों ने जब मदरसे जाकर इस घटना के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की तो उनके साथ भी बदसलूकी की गई. आरोप है कि परिजनों को एक कमरे में बंद कर प्रताड़ित किया गया.

इलाके में सनसनी

यह घटना पूरे इलाके में सनसनी का कारण बन गई है. वहीं, आरोपी हेड मौलवी परवेज आलम ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं और उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है. मामला सामने आने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है. पीड़ित परिजनों की शिकायत पर जांच शुरू कर दी गई है और मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

दोषियों को नहीं बख्शेंगे

पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यह घटना न केवल प्रशासन के लिए चुनौती बन गई है, बल्कि समाज के संवेदनशील वर्गों को भी सोचने पर मजबूर कर रही है कि आखिर बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के नाम पर चल रहे संस्थानों में इस तरह की क्रूरता कैसे हो सकती है? यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि उन धार्मिक शिक्षण संस्थानों की निगरानी व्यवस्था पर भी चिंता विषय है, जहां बच्चों को संस्कार और शिक्षा देने की जिम्मेदारी होती है.

परिजनों ने आक्रोश

परिजनों और स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है. उन्होंने प्रशासन से तत्काल न्याय और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है. इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है, जिसे देखते हुए स्थानीय पुलिस ने मदरसे के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है. बच्चों के साथ इस तरह की अमानवीयता को रोकने के लिए सख्त कानून और उसकी प्रभावी निगरानी की जरूरत है.

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