राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू पर्यटकों के लिए सालों से आकर्षण का केंद्र रहा है. इस हिल स्टेशन में उतरज गांव है, जोकि समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां गाड़ियां नहीं जातीं. लोग पैदल ही एक-जगह से दूसरी जगह जाते हैं. हालांकि, अब इस गांव में एक ट्रैक्टर आया है. चूंकि गांव पहाड़ों पर बसा है. इसलिए यहां पहले ट्रैक्टर के अलग-अलग पार्ट्स लाए गए, फिर गांव में उन्हें असेंबल किया गया.
उतरज गांव शहर से 18 किलोमीटर दूरी पर है. इस गांव तक आने के गुरुशिखर आना पड़ेगा. फिर यहां से 3 किमी तक घने जंगल और उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों से गुजरना होगा. उतरज में खेती करना भी काफी कठिन है. इसलिए लोगों ने गांव में ट्रैक्टर लाने की पहल की. गांव के लोगों ने एक ट्रैक्टर को खरीदा. फिर इसके पार्ट्स को अलग करवाकर ऊबड़ खाबड़ रास्तों पर पैदल चलकर उतरज तक पहुंचाया.
राजस्थान के माउंट आबू में गुरु शिखर सबसे ऊंची चोटी है, जोकि समुद्र तल से 1722 मीटर की ऊंचाई पर है. 1400 मीटर की ऊंचाई पर उतरज गांव हैं. उतरज तक पहुंचने के लिए ना तो कोई गाड़ी है, ना ही पक्का रास्ता. इस पूरे गांव में करीब 60 मकान हैं. गांव की आबादी लगभग 250 है.
उतरज गांव के निवासी सांखल सिंह राजपूत बताते हैं कि यहां मेरा जन्म हुआ. हमारी 50 पीढ़ियां यहां निवास कर चुकी हैं. अब गांव में ट्रैक्टर आ गया है, जिससे गांव की 400 बीघा जमीन पर खेती होगी. हमारे पास 32 कुएं भी हैं. पहले गांव में खेती-बाड़ी के सभी कार्य बैलों द्वारा हल जोत कर किए जाते थे, जिससे अधिक परिश्रम के साथ अधिक समय लगता था. अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
50 लोग कंधे पर 900 किलो का इंजन उठाकर पैदल चले
ट्रैक्टर का इंजन लाने के लिए गांववालों ने बांस का बनाया फ्रेम बनाया. इसी के जरिए 50 लोग कंधे पर 900 किलो का इंजन उठाकर 3 किलोमीटर पैदल चले. ट्रैक्टर खरीदने में लगभग 8 लाख रुपए खर्च हुए हैं. ट्रैक्टर को खरीदने के बाद विधिवत पूजा-अर्चना की गई. ढोल नगाड़े बजाए गए. ट्रैक्टर आने से हर घर में खुशियों का माहौल है. क्योंकि 50 पीढ़ियों के बाद पहली बार ट्रैक्टर आया. गांव के साखल सिंह ने बताया कि ट्रैक्टर आने के बाद हम पहली बार लहसुन की खेती करेंगे. साथ ही जौ की भी खेती करेंगे. अभी हम गेहूं, मटर, पत्ता गोबी, फूल गोभी, आलू आदि की खेतीकरते हैं.