उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए राज्य के बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव की तरफ से निर्देश जारी किए गए हैं. बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव ने बताया कि निर्देश में कहा गया है कि अगर कोई भी छात्र छह दिन या उसे अधिक स्कूल से अनुपस्थित रहता है, तो प्रिंसिपल उस छात्र के घर जाकर उसके परिवार से मिलेंगे.
प्रिंसिपल परिवार से बच्चे के स्कूल ना आने का कारण पूछेंगे. साथ ही अभिभावकों से उसे स्कूल भेजने की बात कहेंगे. यही नहीं जब तक छात्र स्कूल नहीं आता तब तक उसका फॉलोअप भी करते रहेंगे. निर्देश के अनुसार, अगर कोई छात्र एक महीने में 6 दिन, 3 माह में 10 दिन, 6 महीने में 15 दिन से अधिक विद्यालय से अनुपस्थित रहता है, तो प्रिंसिपल उसके माता-पिता को बैठक में बुलाकर उससे बातचीत करनी होगी.
इसके अलावा अगर छात्र 9 महीने में 21 दिन या पूरे शैक्षणिक सत्र में 30 दिन से अधिक अनुपस्थित रहते हैं, तो उनको अति संभावित ड्रॉप आउट की श्रेणी में रखा जाएगा. ऐसे छात्र अगर परीक्षा में 35 फीसदी से कम अंक प्राप्त करते हैं, तो उन्हें ड्रॉप आउट मानकर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा. अनुपस्थित रहने के बाद स्कूल आने वाले छात्रों के लिए विशेष कक्षा का संचालन किया जाएगा, ताकि उनकी शैक्षिक कमी को दूर कर अन्य छात्रों के साथ उसकी भी पढ़ाई निरंतर कराई जा सके.
इस निर्देश के बाद अब स्कूल के प्रधानाचार्यो और अध्यापकों की जिम्मेदारियां बढ़ जाएंगी कि उनके स्कूल में छात्रों की ड्रॉपआउट संख्या कम हो. आगर ऐसा होता है, तो प्रधानाचार्यो और अध्यापकों को विशेष कक्षाएं चलाकर अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की पढ़ाई पूरी करवानी होगी. अब उन प्रधानाचार्यो और अध्यापकों को भी सचेत रहना होगा जो अपने स्कूल में छात्रों का नामांकन बढ़ाने के लिए किसी तरह बच्चों का एडमिशन तो कर लेते थे, लेकिन वो स्कूल आएं या ना आएं, इससे उनका कोई लेना-देना नहीं होता था