सैफई: उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के कुशल चिकित्सकों ने एक जटिल और दुर्लभ शल्य चिकित्सा को सफलतापूर्वक अंजाम देकर एक गरीब किसान को नई जिंदगी और मुस्कान प्रदान की है। फिरोजाबाद जनपद के थाना उत्तर क्षेत्र के तावा खुर्द गांव के निवासी 40 वर्षीय संजय कुमार 23 फरवरी 2025 को एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क हादसे का शिकार हो गए थे.इस दुर्घटना में उन्होंने अपना निचला होंठ पूरी तरह से खो दिया था, जिससे उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी गहरा आघात पहुंचा था.
शुरुआत में संजय के परिजनों ने उनका इलाज एक निजी अस्पताल में कराया, लेकिन जब उन्हें कोई राहत नहीं मिली, तो उन्होंने उम्मीद खो दी थी.ऐसे मुश्किल समय में, उन्हें उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया.यहां विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल सक्सेना और डॉ. तंजुम कंबोज के नेतृत्व में विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक समर्पित टीम ने संजय की जटिल समस्या का समाधान करने का संकल्प लिया.
इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए डॉक्टरों की टीम ने लगभग सात घंटे तक चली एक सूक्ष्म शल्य चिकित्सा (माइक्रो सर्जरी) की. इस जटिल प्रक्रिया में, डॉक्टरों ने संजय के बाएं हाथ की त्वचा का सावधानीपूर्वक उपयोग करके एक नया होंठ तैयार किया.इतना ही नहीं, नव निर्मित होंठ में रक्त संचार को सुनिश्चित करने के लिए, हाथ की एक नस को गर्दन की नस से सफलतापूर्वक जोड़ा गया.यह प्रक्रिया माइक्रो सर्जरी की उच्च स्तरीय विशेषज्ञता और डॉक्टरों के कौशल का प्रमाण है.
ऑपरेशन की सफलता के बाद, विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल सक्सेना ने इस जटिल प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह सर्जरी तकनीकी रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी, जिसमें मरीज के हाथ की त्वचा से होंठ बनाना और फिर गर्दन से नस को जोड़कर उसमें रक्त की आपूर्ति स्थापित करना शामिल था.उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा और अब संजय सामान्य रूप से बोलने और खाने-पीने में सक्षम हैं.
सर्जरी के बाद संजय कुमार अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वार्ड में डॉक्टरों की निगरानी में हैं.उन्हें जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.अपनी नई मुस्कान और सामान्य जीवन की उम्मीद से उत्साहित संजय ने डॉक्टरों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की.उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह दोबारा सामान्य दिख पाएंगे और डॉक्टरों ने जो किया है, वह उनके लिए किसी जीवनदान से कम नहीं है.
संजय कुमार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण, इस तरह की जटिल सर्जरी निजी अस्पताल में कराने पर लगभग दो से ढाई लाख रुपये का भारी खर्च आता, जो उनके लिए वहन करना असंभव था. उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई ने इस बात को समझते हुए संजय का पूरा इलाज निशुल्क किया, जो मानवता और सामाजिक जिम्मेदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.यह घटना न केवल चिकित्सा विज्ञान की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि यदि चिकित्सा संस्थान चाहें तो जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आ सकते हैं.
सैफई के डॉक्टरों की इस सराहनीय पहल ने संजय कुमार को न केवल एक नया होंठ दिया है, बल्कि उन्हें एक नई उम्मीद और आत्मविश्वास भी प्रदान किया है, जिससे वह अब समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकेंगे.